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Rajya Sabha election result: हरियाणा में हुड्डा को फ्री हेंड देना कांग्रेस को पड़ा भारी

locationनई दिल्लीPublished: Jun 12, 2022 08:03:26 am

Submitted by:

Shadab Ahmed

शादाब अहमदRajya Sabha election Inside Story : हरियाणा में कांग्रेस की अंदरूनी कलह और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा पर भरोसा कर फ्री हेंड देना राज्यसभा चुनाव में पार्टी को भारी पड़ गया। आखिर में असंतुष्ट नेता कुलदीप सिंह बिश्नोई के क्रॉस वोट करने से पार्टी महासचिव व राजस्थान प्रभारी अजय माकन चुनावी चक्रव्यूह नहीं भेद पाए। आखिर में दूसरी वरीयता के वोट के आधार पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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Rajya Sabha election Inside Story : दरअसल, हरियाणा में कांग्रेस आसानी से राज्यसभा की एक सीट जीत सकती थी। पार्टी के पास जरूरी 31 विधायक थे, लेकिन पिछले दिनों प्रदेश में चले सियासी उठापटक से अंदरूनी कलह बढ़ गई। आखिर में कुलदीप बिश्नोई ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोट किया। जबकि असंतुष्ट चल रही किरण चौधरी के गलत वोट करने की जानकारी सामने आ रही है। हालांकि पार्टी ने इसकी अब तक पुष्टि नहीं की है।
अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष दोनों पद एक ही गुट को

सूत्रों का कहना है कि पार्टी आलाकमान ने कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर हुड्डा के नजदीकी उदयभान को अध्यक्ष बना दिया। अध्यक्ष पद के साथ हुड्डा के नेता प्रतिपक्ष बने रहने से बिश्नोई समेत गैर जाट व हुड्डा विरोधी खेमे के नेताओं में नाराजगी बढ़ गई। इसके चलते हरियाणा के रहने वाले कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला समेत वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला व प्रमोद तिवारी जैसे नेताओं ने हरियाणा से राज्यसभा चुनाव लडऩे से कदम पीछे ले लिए थे। प्रभारी होने के चलते माकन को राजस्थान से पार्टी टिकट नहीं दे सकती थी। यही वजह थी कि पार्टी को उन्हें दिल्ली से सटे हरियाणा से चुनाव में उतारना पड़ा।
बिश्नोई को मनाने का था भरोसा
सूत्रों का कहना है कि माकन को बिश्नोई को मनाने का भरोसा था। इसके चलते वह चुनाव में उतर गए। बिश्नोई अपनी शिकायतों को लेकर राहुल गांधी से मिलने के इच्छुक थे, लेकिन आलाकमान ने बिश्नोई की दबाव की राजनीति नहीं मानी। साफ संदेश दिया गया कि राज्यसभा में पहले पार्टी के पक्ष में वोट डाले, फिर उनकी सुनवाई की जाएगी। इसके बावजूद बिश्नोई ने क्रॉस वोट करने का रास्ता पकड़ लिया।
कुछ दिन टाला जा सकता था अध्यक्ष बनाना
पार्टी नेताओं का कहना है कि हरियाणा में अध्यक्ष पद की नियुक्ति को कुछ दिन टाला जा सकता था। इससे चुनाव के समय बिश्नोई पार्टी के साथ बने रह सकते थे।
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