उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और इंडी गठबंधन सुनियोजित साजिश के तहत हिंडनबर्ग के साथ मिल कर काम कर रही है और देश में आर्थिक अराजकता फ़ैलाने की साजिश कर रही है। हिंडनबर्ग के मुख्य निवेशक जॉर्ज सोरॉस हैं, जो भारत के विरुद्ध नियमित प्रॉपगेंडा चलाते रहते हैं। टूलकिट वालों को तो हिंदुस्तान के विकास से कोई मतलब नहीं है, लेकिन देश पर 55 वर्षों तक राज करने वाली कांग्रेस पार्टी को आखिर क्या हो गया है?
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पिछले साल हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई और जनवरी में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था, जिसके बाद 2024 में 22 जांच पूरी की गई। कांग्रेस जेपीसी की मांग करती है जबकि राहुल गांधी के पास वकीलों की फौज है, तो उन्होंने इन जांचो में सहयोग क्यों नहीं किया? सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई जांच के बाद, जुलाई में सेबी ने हिंडनबर्ग को नोटिस जारी किया कि वह कानून के विरोध में लगाए गए आरोपों पर जवाब दे। हिंडनबर्ग ने अपनी वेबसाइट पर भी नोटिस के कारण का जिक्र किया है। हिंडनबर्ग ने अपने बचाव के पक्ष में अब तक कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि उल्टा निराधार आरोप लगा दिया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पॉलिटिक्स में टूलकिट के साथ-साथ चिट पॉलिटिक्स भी शामिल है। परीक्षाओं में चिट लेने वालों पर सख्त कार्रवाई हो रही है, मगर कांग्रेस के नेताओं को मिलने वाली चिट का क्या किया जाए? कांग्रेस को कभी राफेल की चिट मिलती है, कभी हिंडनबर्ग रिपोर्ट की और अब जेपीसी जांच की चिट मिल गई है। ये भारत के स्टॉक मार्केट को क्रैश करवाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि पेगासस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई में कांग्रेस पार्टी या टूलकिट के नेता एक बार भी प्रस्तुत नहीं हुए और न ही राहुल गांधी ने कभी भी अपना फोन जांच के लिए दिया। मनमोहन सिंह के 10 वर्षों के शासन में 2जी, कोयला, कॉमनवेल्थ, अगस्ता वेस्टलैंड जैसे अनेकों घपले घोटाले हुए जिसमें कई विदेशी पूंजी निवेशक शामिल थे, लेकिन तब ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आती थी।