नई दिल्लीPublished: Jan 31, 2023 04:51:54 pm
Anand Mani Tripathi
सजा-ए-मौत (Death) के प्रावधानों की समीक्षा किए जाने की सुप्रीम कोर्ट (Supreame Court) की पहल के बावजूद पिछले साल देश की अधिनस्थ अदालतों ने 165 लोगों को फांसी (Execute) की सजा सुनाई। यह पिछले दो दशक के दौरान एक ही साल में सुनाई मौत (Death Penalty) की सजा (Punishment) का सर्वाधिक आकंड़ा है। जिन लोगों को सजा सुनाई गई है, उनमें सर्वाधिक 51.2 प्रतिशत यौन हिंसा (sexual violence) के अभियुक्त (accused) हैं।
सुरेश व्यास @ नई दिल्ली. सजा-ए-मौत के प्रावधानों की समीक्षा किए जाने की सुप्रीम कोर्ट की पहल के बावजूद पिछले साल देश की अधिनस्थ अदालतों ने 165 लोगों को फांसी की सजा सुनाई। यह पिछले दो दशक के दौरान एक ही साल में सुनाई मौत की सजा का सर्वाधिक आकंड़ा है। जिन लोगों को सजा सुनाई गई है, उनमें सर्वाधिक 51.2 प्रतिशत यौन हिंसा के अभियुक्त हैं।