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पंजाब की रहने वाली है पीड़िता
आपको बता दें कि पीड़िता हरप्रीत पंजाब के मुक्तसर जिले की रहने वाली है। हरप्रीत के बाएं पैर को लकवा मार गया था जिसका इलाज कराने के लिए 1999 में वह अपने पिता के साथ दिल्ली आई थी। दिल्ली में हरप्रीत का इलाज डॉ. पीएस मैनी नाम के डॉक्टर कर रहा था। इलाज कराते हुए करीब चार वर्ष हो गए। तब 2003 में डॉ. मैनी ने हरप्रीत को दाएं पर की सर्जरी कराने की सलाह दी। ऑपरेशन के लिए हरप्रीत के परिवार वाले तैयार हो गए। 30 मई 2003 को डॉ. मैनी की की देखरेख में हरप्रीत को ऑपरेशन के लिए चिरंजीव क्लीनिक और समा नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। वहां डॉक्टरों ने उसके दाएं पैर की जगह बाएं पैर का ऑपरेशन कर दिया।
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उपभोक्ता आयोग में की गई शिकायत
आपको बता दें कि जब ऑपरेशन के कुछ दिनों बाद हरप्रीत के बाएं पैर ने काम करना बंद कर दिया। इस पर हरप्रीत ने डॉ. मैनी के पास दोबारा चेकअप कराने पहुंची, तो कुछ दिनों तक फिर से डॉ. मैनी ने उनका इलाज किया। लेकिन कोई भी सुधार नहीं हुआ। थक-हार कर हरप्रीत के परिवार वालों ने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। दिल्ली राज्य के उपभोक्ता आयोग ने न्यायिक सदस्य एनपी कौशिक ने मामले की सुनवाई करते हुए डॉ. मैनी की सभी दलीलों को खारिज कर दिया। आयोग ने कहा कि डॉ. मैनी ने इलाज में लापरवाही बरती है। इसलिए अब पीड़िता को मुआवजा देना पड़ेगा। आयोग ने डॉ. मैनी को निर्देश दिया कि 30 दिनों के अंदर पीड़िता हरप्रीत को 10 लाख रुपए का मुआवजा दें। इसके अलावा आयोग ने यह भी आदेश दिया कि 10 लाख की राशि पर कम से कम 7 फीसदी ब्याज भी दें।