केजरीवाल के जन्मदिन के विरोध में डीटीसी कर्मचारियों ने मनाया शोक दिवस, कराया मुंडन
2013 के कैबिनेट बैठक में लिया गया था फैसला
आपको बता दें कि स्मृति स्थल में राजनेताओं के अंतिम संस्कार के लिए चुने जाने के पीछे एक अहम कारण है। दरअसल दिल्ली में भूमि संसाधनों की कमी है और फिर इस चिंता को दूर करने के लिए एक सार्वजनिक स्मृति स्थल बनाने का प्रस्ताव लाया गया। केंद्रीय कैबिनेट ने इसे हरी झंडी दे दी। इसके बाद राष्ट्रपिता महात्मां गाधी के स्मृति स्थल राजघाट के पास ही राष्ट्रीय स्मृति स्थल का निर्माण किया गया। 2013 के मई में यह तय किया गया कि अब से सभी राजनेताओं का अंतिम संस्कार इसी स्थान पर किया जाएगा। इसके अलावे यह भी तय किया गया कि एकता स्थल के पास समाधि कॉम्पलेक्स में उससे जुड़े सार्वजनिक समारोह आयोजित होंगे। यही कारण है कि अब राजधानी में किसी भी राजनेता के अंतिम विदाई के लिए स्मृति स्थल को ही चुना जाता है। बता दें कि जिस स्थान पर अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि बनाई जाएगी वह पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (शांति वन) और लाल बहादुर शास्त्री (विजय घाट) के समाधि स्थल के बीच में है।