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दिल्ली: मीड-डे मील के नाम पर नॉर्थ एमसीडी के स्कूलों में हो रहा है धांधली, हुआ चौंकाने वाला खुलासा

locationनई दिल्लीPublished: Jul 25, 2018 08:10:51 pm

Submitted by:

Anil Kumar

नॉर्थ एमसीडी के 715 स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 2 लाख 78 हजार 681 है, लेकिन हैरान करने वाला तथ्य यह है कि रोजाना 3.28 लाख बच्चों को मिड-डे मील दिया जा रहा है।

 मीड-डे मील के नाम पर नॉर्थ एमसीडी के स्कूलों में हो रहा है धांधली

दिल्ली: मीड-डे मील के नाम पर नॉर्थ एमसीडी के स्कूलों में हो रहा है धांधली, हुआ चौंकाने वाला खुलासा

नई दिल्ली। जहां एक ओर राजधानी दिल्ली में भूख के कारण तीन बच्चों की मौत ने सबको हैरान कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर मीड मील में धांधली के खबर ने सबको हिलाकर रख दिया है। एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसने दिल्ली सरकार की पोल खोल कर रख दी है। दरअसल नॉर्थ एमसीडी के 715 स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 2 लाख 78 हजार 681 है, लेकिन हैरान करने वाला तथ्य यह है कि रोजाना 3.28 लाख बच्चों को मिड-डे मील दिया जा रहा है। इस तथ्य पर बुधवार को एमसीडी की स्टैंडिंग कमिटी की मीटिंग में जमकर हंगामा हुआ। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या कम है तो फिर अधिक भोजन क्यों बनाया जा रहा है। दूसरा अहम सवाल यह है कि क्या इसके पीछे कोई धांधली है और भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है।

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कांग्रेस पार्षद मुकेश गोयल ने मिड-डे मील का उठाया मुद्दा

आपको बता दें कि एमसीडी की स्टैंडिंग कमिटी की मीटिंग में कांग्रेस पार्षद मुकेश गोयल ने मिड-डे मील का मुद्दा उठाया। जब इस मामले को लेकर अधिकारियों से जवाब मांगा गया कि मौजूदा समय में नॉर्थ एमसीडी के स्कूलों में कितने बच्चे पढ़ते हैं और उनमें से कितनों को मिड-डे मील दिया जा रहा है। इस सवाल पर शिक्षा विभाग के अफसरों ने जवाब देते हुए बताया कि अभी एमसीडी स्कूलों में करीब 2 लाख 78 हजार 681 बच्चे पढ़ते हैं। जबकि 3.28 लाख बच्चों को मिड-डे मील दिया जा रहा है। इस तरह बच्चों की संख्या की तुलना में रोजाना 50 हजार अतिरिक्त बच्चों के लिए मिड-डे मील तैयार होता है। इस जवाब के बाद बैठक में मौजूद सभी पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया।

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पार्षदों का आरोप

आपको बता दें कि पार्षदों का आरोप है कि मीड-डे मील तैयार करने में भारी भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। पार्षदों ने मांग की कि अब इस मामले की जांच की जानी चाहिए। बैठक में अफसरों ने बताया कि रोजाना बच्चों की अटेंडेंस के हिसाब से ही मिड-डे मील तैयार किया जाता है और पिछले 3 साल में मिड-डे मील पर 44.16 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। जब पार्षदों ने अफसरों से सवाल दागने लगे तो फिर शिक्षा विभाग के अफसर मामले की लीपापोती करने लगे। पार्षदों ने पूछा कि जिन 11 एजेंसियों को मिड-डे मील तैयार करने का काम दिया गया है, वह रोज कैसे पता लगाती हैं कि कितने बच्चे स्कूल में मौजूद थे, कितने नहीं। इस पर अधिकारियों के पास कोई भी जवाब नहीं था। बता दें कि अब इस मामले को लकेर दिल्ली की सियासत गरमा गई है। कथित तौर पर भ्रष्टाचार मुक्त शासन की बात करने वाले सीए अरविंद केजरीवाल के शिक्षा विभाग को अब इसका जवाब देना पडेगा कि आखिर इतना बड़ा धांधली हो रहा है और कैसे सरकार बेखबर है।

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