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जनसंख्या नियंत्रण के लिए तुरंत केंद्रीय कानून बनाने की मांग

locationनई दिल्लीPublished: Jun 20, 2021 08:11:54 pm

Submitted by:

Vivek Shrivastava

– सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने वाले अश्विनी उपाध्याय ने पीएम को लिखी चिट्ठी
– कहा, जनसंख्या विस्फोट ही गरीबी, बीमारी और कुपोषण की वजह

जनसंख्या नियंत्रण के लिए तुरंत केंद्रीय कानून बनाने की मांग

जनसंख्या नियंत्रण के लिए तुरंत केंद्रीय कानून बनाने की मांग

नई दिल्ली। भाजपा नेता ओर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि गरीबी, बीमारी और कुपोषण व प्रदूषण जैसी समस्याओं की असली वजह देश में हो रहा जनसंख्या विस्फोट ही है। उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के लिए तुरंत केंद्रीय कानून बनाने की मांग की है। उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चुका है।

अश्विनी उपाध्याय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कहा है कि समान शिक्षा, समान नागरिक संहिता के साथ ही एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाना नितांत आवश्यक है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और मृदा प्रदूषण के कारण सैकड़ों गंभीर बीमारियां हो रही हैं। जनसंख्या विस्फोट के कारण दूध घी फल सब्जी की डिमांड ज्यादा है और सप्लाई कम, इसलिए जहरीला केमिकल मिलाया जाता है इसके कारण कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं। जनसंख्या विस्फोट के कारण बहन-बेटियों को समान अधिकार और समान सम्मान नहीं मिलता है। कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून के बिना स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत अभियान का सफल होना मुश्किल है।

उपाध्याय ने कहा है कि रूस का क्षेत्रफल भारत से पांच गुना है और जनसंख्या मात्र 15 करोड़ है। रूस में प्रतिदिन मात्र 5,000 बच्चे पैदा होते हैं जबकि भारत में प्रतिदिन 70,000 बच्चे पैदा होते हैं। इसी तरह कनाडा का क्षेत्रफल भारत से तीन गुना है और जनसंख्या मात्र 4 करोड़ है। चीन का क्षेत्रफल भारत से तीन गुना है और जनसंख्या मात्र 144 करोड़ है। इसी तरह अमेरिका का क्षेत्रफल भारत से तीन गुना है और जनसंख्या मात्र 33 करोड़ है। बेटियों को बराबरी का दर्जा मिले, बेटिया स्वस्थ रहे, बेटियां सम्मान सहित जिंदगी जीयें तथा बेटियां पढ़ें और आगे बढ़ें, इसके लिए समान शिक्षा और समान नागरिक संहिता के साथ ही एक कठोर और प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना बहुत जरूरी है।

उपाध्याय की याचिका पर नोटिस

एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग वाली उपाध्याय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय को नोटिस जारी किया था लेकिन अभीतक किसी का जबाब नहीं आया। आश्चर्य तो तब हुआ जब स्वास्थ्य मंत्रालय ने याचिका का का यह कहते हुए विरोध किया कि जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत ही नहीं है जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय इस मामले में पार्टी भी नहीं है।

बने केंद्रीय कानून
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने एफिडेविट में कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून केंद्र का विषय ही नहीं है। जबकि 1976 में 42वां संविधान संशोधन हुआ था और संविधान की सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची (समवर्ती सूची) में “जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन” शब्द जोड़ा गया था। 42वें संविधान संशोधन के माध्म से केंद्र के साथ ही राज्य सरकारों को भी “जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन” के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। लेकिन नेताओं ने 44 वर्ष बाद भी चीन की तरह एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया।

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