सात साल में विश्वविद्यालय की बढ़ी सीटें सिसोदिया ने कहा कि हमारी यूनिवर्सिटी एडमिशन की जरूरत पूरा कर रही है। सिर्फ डीटीयू में ही पिछले 7 साल में सीटों की संख्या 6,000 से बढ़कर 15,000 हो गई| उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी का एक और बड़ा काम प्रॉब्लम सॉल्वर तैयार करना है। आज देश के सामने एक बहुत बड़ी समस्या ये है कि यहां 12 करोड़ लोग बेरोजगार है और 27 करोड़ लोग ऐसे है, जो प्रतिदिन 35-40 रुपये से भी कम कमाते हैं। हमारे विश्वविद्यालयों को ऐसे छात्रों को तैयार करने की जरूरत है, जो इस समस्या का हल निकाल सकें। उन्होंने आगे कहा कि आज जापान-जर्मनी ऐसे देश जो विश्व-युद्ध में पूरी तरह तबाह हो चुके थे। उनकी प्रति व्यक्ति आय भारत की प्रति व्यक्ति आय से 25-30 गुणा ज्यादा है। इसका सीधा मतलब ये है कि कहीं न कहीं कोई कमी रह गई है। और जिसे स्कूल सिस्टम व यूनिवर्सिटी सिस्टम के माध्यम से ही खोजते हुए दूर किया जा सकता है। इसके लिए हमारे विश्वविद्यालयों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि दुनिया भर के विश्व स्तरीय विश्वविद्यालयों ने उस देश के इतिहास में उसके वर्तमान को बदलने में क्या भूमिका निभाई है।
साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कर रहा है अच्छा काम सिसोदिया ने कहा कि डीटीयू साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में शानदार काम कर रहा है। जिसके कारण यूनिवर्सिटी विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में आगे बढ़ रही है। नेशनल इंस्टीट्यूशन फ्रेमवर्क रैंकिंग (एनआईआरएफ) रैंकिंग में यूनिवर्सिटी की 2015 में 63वीं रैंक थी। अब 2022 में एनआईआरएफ में 35वीं रैंक आई है। साथ ही डीटीयू की तरफ से विज्ञान के क्षेत्र में अपने विभिन्न रिसर्च के साथ ही कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में दिल्ली सरकार को सपोर्ट भी किया जा रहा है। इस 12 मंजिला डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बॉयज हॉस्टल में 107 कमरे हैं। जिसमें 321 स्टूडेंट्स रह सकते है। वहीं, वीरांगना लक्ष्मीबाई गर्ल्स हॉस्टल में कुल 227 कमरे हैं। जिसमें 681 स्टूडेंट्स रह सकते हैं। इसके अतिरिक्त यहां पूर्व से ही कई अन्य हॉस्टल भी मौजूद हैं। जिनकी कुल क्षमता लगभग 1600 है। इन दोनों हॉस्टल के साथ डीटीयू अब अपने हॉस्टल में 2600 से अधिक छात्रों को समायोजित कर सकता है। साथ ही यहां आने वाले दिनों में 2 नए अकादमिक ब्लॉक भी बनकर तैयार हो जाएंगे।