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किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण डायबीटिज या हाई बीपी होता है, जागरूकता ही है सबसे बड़ा उपाय

locationनई दिल्लीPublished: Oct 23, 2018 07:30:46 pm

Submitted by:

Mazkoor

डॉक्टरों ने इसे ‘डीएचकेडीएस’ (डायबिटिज हाइपरटेंशन किडनी डिजीज सिंड्रोम) नाम दिया है। बता दें कि 6175 किडनी के मरीजों पर यह किए गए अध्ययन में यह नतीजा सामने आया है।

kidney damage

Only 30 unit blood in the district hospital

नई दिल्ली : ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस व ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, दिल्ली की ओर से हालिया किए गए अध्ययन में यह सामने आया है कि देश में डायबिटीज और हाइ ब्‍लड प्रेशर की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। बता दें कि इन दोनों बीमारियां का असर इंसान की किडनी पर पड़ता है। यह किडनी के लिए काफी नुकसानदेह होते हैं। डॉक्टरों ने इसे ‘डीएचकेडीएस’ (डायबिटिज हाइपरटेंशन किडनी डिजीज सिंड्रोम) नाम दिया है। बता दें कि 6175 किडनी के मरीजों पर यह किए गए अध्ययन में यह नतीजा सामने आया है। इस शोध में दिल्ली के 3050 व भुवनेश्वर के 3125 किडनी मरीज शामिल थे। यह शोध हाल ही में जर्नल ऑफ द एसोसिएशन फिजिशियंस ऑफ इंडिया में प्रकाशित किया गया है।

किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण डायबिटीज
अध्ययन में देखा गया कि किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण मधुमेह है। 62.3 प्रतिशत किडनी के मरीज मधुमेह से पीड़ित थे। इस शोध में यह भी देखा गया कि जिन लोगों को डायबिटीज के साथ किडनी की बीमारी से पीड़ित 78.7 प्रतिशत लोगों का ब्लड प्रेशर भी अधिक पाया गया।

जानकारी का अभाव भी एक कारण
शोधार्थियों ने यह भी पाया कि किडनी खराब होने का सबसे बड़ा कारण यह भी था कि इसे लेकर मरीजों यहां तक कि डॉक्‍टरों में भी जानकारी का अभाव होना था, क्‍योंकि देखा गया कि शुरुआती दौर में 54.4 प्रतिशत डायबिटीक लोगों की किडनी की जांच नहीं कराई गई थी, जबकि जांच में इनके यूरीन में प्रोटीन व क्रिटिनिन की मात्रा अधिक आई थी। इस शोध में यह भी देखा गया कि जिन्‍हें डायबिटीज नहीं था, उनमें से करीब 55 प्रतिशत लोगों को हाइपर टेंशन की शिकायत थी।

न करें उपेक्षा
बता दें कि देश में करीब 6.44 करोड़ लोग डायबेटीक और 7.72 करोड़ लोग प्री-डायबेटिक हैं। इसके अलावा करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिन्‍हें हाइ ब्‍लड प्रेशर की बीमारी है। इनमें से कइयों को दोनों बीमारियां एक साथ है। इनके किडनी फेल होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। यहां यह जानना काफी जरूरी है कि किडनी हमारे शरीर का काफी अहम अंग है। यह खून साफ कर टॉक्सिन को शरीर से बाहर निकालता है। लेकिन जानकारी के अभाव में लोगों को यह तब पता चलता है, जब 60 से 65 प्रतिशत तक खराब हो चुकी है। इनमें से 30 से 40 प्रतिशत डायबेटीक लोगों की किडनी खराब होती है। देर से पता चलने के कारण मरीजों के पास किडनी ट्रांसप्‍लांट या डायलिसिस के अलावा कोई विकल्‍प नहीं बचता। इसलिए इससे बचने का सबसे बेहतर उपाय इसके प्रति जागरूकता ही है।

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