रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने सोमवार को राज्यसभा में पेश एक लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ में देश की सशस्त्र सेनाओं के उपयोग के लिए लिए रक्षा उत्पाद डिजाइन व विकसित करता है। इनके सफलतापूर्वक उत्पादन परीक्षण के बाद इनके बड़ा पैमाने पर उत्पादन के लिए तकनीक देश की निजी कम्पनियों को हस्तांतरित की जाती है। इसके लिए निजी कम्पनी व डीआरडीओ तकनीक हस्तांतरण के लाइसेंस अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर करते हैं। इसके बाद तकनीक निजी कम्पनी को हस्तांतरित की जा सकती है। डीआरडीओ 19 अगस्त 2019 से इस नीति पर काम कर रहा है और अब तक इसके तहत 670 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं।
नहीं कर सकते उजागर
उन्होंने बताया कि डीआरडीओ निजी कम्पनी को रक्षा व द्विउपयोगी तकनीक हस्तांतरित करता है। अनुबंध के तहत निजी कम्पनी इस तकनीक को बिना पूर्वानुमति के किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं कर सकती। अनुबंध में यह प्रावधान भी किया गया है कि तकनीक सम्बन्धित लोगों के अलावा किसी अन्य के सामने उजागर भी नहीं की जाएगी। साथ ही रक्षा उत्पादन विभाग की ओर से दिए जाने वाले रक्षा उत्पादन लाइसेंस के सुरक्षा मैन्युअल में भी यह अनिवार्य शर्त जोड़ी गई है कि लाइसेंसी कम्पनी रक्षा उत्पादों के उत्पादन व विपणन में राष्ट्र की सुरक्षा के मद्देनजर सभी जरूरी न्यूनतम सुरक्षा मापंदडों का सख्ती से पालन करेगी।
थलसेना में सर्वाधिक पद खाली
एक अन्य सवाल के जवाब में भट्ट ने बताया कि गत एक जनवरी की स्थिति के अनुसार तीनों सशस्त्र सेनाओं में अधिकारियों के 10503 पद खाली हैं। इनमें से सर्वाधिक 8129 थल सेना, 1653 नौसेना व 721 पद वायुसेना के हैं। इसके अलावा थलसेना में सैन्य नर्सिंग सेवा अधिकारियों के 509 व जूनियर कमीशंड अधिकारियों व अन्य रैंक के 1,27,673 पद खाली हैं। सेना के सिविलियन कर्मियों के तीनों समूहों में 38,169 पद खाली हैं। नौसेना में चिकित्सा व दंत चिकित्सा अधिकारियों के 29 व नाविकों के 10746 तथा सिविलियन के 10,528 पद रिक्त हैं। जबकि वायुसेना में 16 चिकित्सा अधिकारी, 4734 एयरमैन, चिकित्सा सहायक ट्रेक के 113 एयरमैन व नोन कमीशंड कार्मिकों के 1447 तथा सिविलियन कार्मिकों के 6856 पद खाली हैं।