दरअसल, कांग्रेस के लिए एक के बाद एक चुनाव नतीजे परेशानी का सबब बन रहे हैं। जहां पंजाब में आम आदमी की आंधी में पार्टी की दलित-गरीब रणनीति पूरी तरह उखड़ गई। वहीं यूपी में प्रियंका गांधी की महिला-युवा का नारा भी काम नहीं आया और पार्टी का वोट घटकर महज ढाई फीसदी से कम पर आ गया। इन नतीजों से पार्टी नेतृत्व खासतौर पर गांधी परिवार की जवाबदेही तय करने की मांग जोर पकड़ सकती है। इसके साथ ही केन्द्र की सियासत में विपक्ष की मुख्य भूमिका को लेकर भी अन्य विपक्षी दल कांग्रेस पर हमले तेज करेंगे। ऐसी सूरत में पार्टी अपनी रणनीति बदलने पर अभी से विचार कर रही है।
भावनात्मक मुद्दों की ओर बढ़ेगी पार्टी कांग्रेस नेता इस बात से हैरान है कि महंगाई, बेरोजगारी, डूबती अर्थव्यवस्था, कोविड महामारी के दौरान अव्यवस्था, किसान आंदोलन जैसे मुद्दों के सामने धार्मिक व जातीय ध्रुवीकरण भारी पड़ गया। यही वजह है कि पार्टी आने वाले दिनों में रणनीति को बदलती दिख सकती है। कांग्रेस भी बुनियादी मुद्दों के साथ जनता को कनेक्ट करने के लिए भावनात्मक मुद्दों को आगे बढ़ाती दिख सकती है। इसके लिए सबसे पहला प्रयोग गुजरात से शुरू हो सकता है।
बतौर विपक्षी दल बने रहने की चुनौती कांग्रेस (Congress) के लिए यूपीए (UPA) को संभालना भी अब चुनौतीपूर्ण हो सकता है। तृणमूल कांग्रेस (TMC), समाजवादी पार्टी (SP), आम आदमी पार्टी (AAP), तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (TRS) जैसे क्षेत्रीय दलों का राष्ट्रीय राजनीति में दखल बड़ेगा। आने वाले दिनों में हो रहे राज्यसभा चुनाव से इन दलों का राज्यसभा में दबदबा बड़ेगा। ऐसे में कांग्रेस को एनसीपी, शिवसेना जैसे बड़े सहयोगी दलों को अपने साथ रखने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
आगे चुनाव से पहले संगठन को करना होगा मजबूत कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसी साल हमें गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जाना है। गुजरात में पिछले 27 साल से पार्टी सत्ता से बाहर है। साथ ही पिछले 5 साल में कई विधायक साथ छोड़ चुके हैं। जबकि आम आदमी पार्टी भी चुनौती दे रही है। ऐसे में यहां पार्टी को अच्छे प्रदर्शन के लिए संगठन को बेहद मजबूत करना होगा। खासतौर पर बूथ लेवल की कमेटियों को कागजों से बाहर निकाल कर जमीन पर लाना होगा। अगले कुछ दिनों में इस पर काम शुरू किया जाएगा।
हम लौटेंगे बदलाव और नई रणनीति के साथ
हमने जातिवाद और धार्मिक ध्रुवीकरण के मुद्दों से दूर रख जनता के मुद्दों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सच यह है कि भावनात्मक मुद्दे इन मुद्दों पर कहीं ना कहीं हावी हो गए। हम चुनाव हारें या जीतें लेकिन कांग्रेस देश की जनता के साथ लगातार खड़ी है। महंगाई, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, ढांचागत विकास के मुद्दों को उठाते रहेंगे। हम परिणामों से निराश जरूर हैं, लेकिन हताश नहीं। हम लौटेंगे नए बदलाव और नई रणनीति के साथ।
रणदीप सिंह सुरजेवाला, राष्ट्रीय महासचिव, कांग्रेस