भारत के लिए भूख बड़ा सवाल रहा है। कोरोना ने इसे और अहम बना दिया है। दुनिया भर में इससे लड़ रहे विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्लूएफपी) को इस साल का नोबल शांति पुरस्कार भी मिला है। भारत में इसके प्रतिनिधि बिश्वो पराजुली से बातचीत के प्रमुख अंश-
मुकेश केजरीवाल
प्रश्न- इंसान ने इतनी तरक्की कर ली, लेकिन बड़ी संख्या में लोग भूखे सोने को मजबूर हैं…
69 करोड़ लोगों को दुनिया में हर रोज पूरा खाना नहीं मिलता। ऐसा नहीं है कि संसार में खाना नहीं है। हर आदमी की जरूरत के लिए खाना है। लेकिन सिर्फ खाद्यान्न उपलब्ध होने से लोगों को खाद्य सुरक्षा नहीं मिलती। क्रय शक्ति और उपलब्धता जरूरी है। हमें भूखमरी और पोषण की कमी को तुरंत खत्म करने की जरूरत है।
प्रश्न- इस लिहाज से भारत में क्या स्थिति है?
30-40 वर्षों में हरित क्रांति ने और किसानों व वैज्ञानिकों की मेहनत ने भारत को खाद्यान्न में आत्म निर्भर बना दिया है। इसके बावजूद लोगों को पर्याप्त खाना नहीं मिल रहा। इससे निपटने के लिए सरकारों ने कई कार्यक्रम चलाए हैं। बहुत से देशों में इतने व्यापक कार्यक्रम नहीं हैं।
प्रश्न- कोरोना ने भूख और पोषण की स्थिति को और कितना खराब किया?
हमारा अनुमान है कोरोना की वजह से एक्यूट हंगर दुगना हो गया है। कई देशों में स्थिति बहुत खराब है। पहले से भुखमरी थी, फिर कोरोना हुआ और उसके बाद लड़ाइयां शुरू हो गई हैं। यमन में 70 प्रतिशत लोग अभी बाहर की मदद से पेट भर रहे हैं।
प्रश्न- क्या खाद्यान्न की बजाय नकदी ट्रांसफर बेहतर होता?
हमारे कार्यक्रम में भी अब 40 प्रतिशत कैश ट्रांसफर ही हो रहा है। इसका बहुत लाभ है। लोग खुराक में विविधता ला पाते हैं। अनाज, दाल, सब्जी, दूध खरीदने की छूट मिलती है। लेकिन भारत में बड़े स्तर पर खाद्यान्न का उत्पादन हुआ है। साथ ही यहां अनाज खरीदने का सरकारी कार्यक्रम भी है। इसलिए खाद्यान्न देने का फैसला जरूरी था।
लेकिन साथ ही कुछ नकद दिया जाए तो ज्यादा फायदा है। क्योंकि अभी खास तौर पर विविधता की कमी है। महिलाओं और बच्चों के पोषण की विशेष जरूरत होती हैं। पीएम की पहल पर लोगों के बैंक खाते खुले हैं। उसमें सीधी मदद दी जा सकती है।
प्रश्न- यह योजना तो नवंबर में समाप्त हो रही है…
बहुत बड़ी संख्या में लोग इस पर निर्भर हैं। अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है। लेकिन अभी तक बहुत से लोगों को रोजगार हासिल नहीं हुआ है। इसे कुछ समय के लिए बढ़ाया जाए और फिर इसकी समीक्षा की जाए और देखा जाए कि स्थिति क्या है। एक बार में पूरी तरह बंद कर देने से सर्वाधिक गरीब लोगों पर असर पड़ सकता है।
प्रश्न- खाद्य सुरक्षा कानून के क्रियान्वयन का आप किस तरह आकलन करते हैं?
यह कानून दुनिया के लिए एक उदाहरण है। राज्यों में इसका गंभीरता से पालन हो रहा है।
प्रश्न- लेकिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स तो तो भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर है?