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दिल्‍ली : कनॉट प्‍लेस में बिना डर के आधी रात को निकली महिलाएं, लिया फीयरलेस रन में भाग

locationनई दिल्लीPublished: Sep 10, 2018 09:04:56 pm

Submitted by:

Mazkoor

आधी रात को घरों से निकल कर बड़ी संख्‍या में महिलाएं सड़को पर उतरीं।

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दिल्‍ली : कनॉट प्‍लेस में बिना डर के आधी रात को निकली महिलाएं, लिया फीयरलेस रन में भाग

नई दिल्‍ली : रविवार की आधी रात को महिलाओं ने घरों से बाहर निकल कर कनॉट प्लेस के इनर सर्किल में दौड़ लगाई। इस दौड़ का आयोजन नई दिल्‍ली जिला पुलिस और यूनाइटेड सिस्टर फाउंडेशन ने ‘द फीयरलैस रन’ के नाम से महिलाओं में आत्‍मविश्‍वास भरने और पुरुषों की इस मानसिकता को बदलने के उद्देश्‍य से किया गया था कि आधी रात को बाहर निकलने वाली महिलाएं अच्‍छी नहीं होतीं। इस आयोजन में दिल्‍ली पुलिस के ज्‍वाइंट कमिश्‍नर अजय चौधरी और सिस्‍टर फाउंडेशन के अहम सदस्‍यों के साथ एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के साथ इस फीयरलेस रन में दिल्‍ली की 200 से भी ज्‍यादा महिलाएं थीं। पिंकाथोन में कई जानी मानी हस्तियां, दिल्ली पुलिस की महिला पुलिसकर्मी व अन्य लोगों ने दौड़ में हिस्सा लिया। दौड़ का आयोजन राजीव चौक मेट्रो स्टेशन गेट नंबर-6 से किया गया। देर रात करीब 12.30 बजे तक दौड़ चली।

आत्‍म विश्‍वास बढ़ाने के लिए किया गया था आयोजन
इस पांच किलोमीटर की इस पिंकाथन दौड़ के लिए रात में एक उत्‍सव जैसा माहौल हो गया था। 200 से भी ज्‍यादा महिलाओं ने इस आयोजन में हिस्‍सा लिया और महिलाओं को भयमुक्त होकर रहने का संदेश दिया। आयोजकों ने बताया कि इस दौड़ के आयोजन जो मकसद था, वह पूरा हुआ। हमने इसका आयोजन ही इस मकसद से किया था कि था महिलाओं को भयमुक्‍त होकर रहने के लिए प्रोत्‍साहित किया जा सके और उनके भीतर से असुरक्षा की भावना समाप्त हो और इस आयोजन में घरों से निकल कर बड़ी संख्‍या में महिलाओं ने भाग लेकर उन्‍होंने इसे साबित भी किया। उम्‍मीद है और महिलाओं के बीच भी इस रन से सार्थक संदेश जाएगा और उनका आत्‍मविश्‍वास बढ़ेगा।

अजय चौधरी ने कहा- पुरुषों को मानसिकता बदलनी होगी
इस आयोजन के बाद ज्‍वाइंट कमिश्‍नर अजय चौधरी ने कहा कि आधी रात को इस दौड़ को आयोजित करने का मकसद महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाना तो था ही, साथ में पुरुषों की मानसिकता बदलने के लिए भी था। बता दें कि अभी ऐसा माहौल है कि देश की राजधानी में भी महिलाएं आधी रात को घर से बाहर निकलने के पहले सौ बार सोचती हैं। इसके लिए हम पुरुष वर्ग भी कहीं न कहीं जिम्‍मेदार हैं। आज भी देश में यह बड़ा मसला है कि महिलाएं क्या पहनती हैं? कब और कहां निकलती हैं?हमें इससे उबरना होगा। आगे निकलना होगा। महिलाओं में से यही डर निकालने और पुरुषों की इसी मानसिकता को बदलने के के लिए इस दौड़ का आयोजन किया गया।

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