सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय (एमएसएमई) के तहत आने वाले सुगंध और सुरस विकास केंद्र (एफएफडीसी) ने बताया है कि प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से हासिल इस सुगंधी का उपयोग अब सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाएगा। अब तक ऐसे उपयोग के लिए रसायनिक तत्वों का उपयोग किया जाता था। लेकिन कन्नौज स्थित इस संस्थान ने इन उत्पादों के लिए उपलब्ध करवाई गई सुगंधी में किसी रसायन का उपयोग नहीं किया गया है। इनसे फेस सीरम और नेचुरल शैंपू के साथ ही कुछ अन्य उत्पाद भी बनाए जाएंगे। हाल के समय में लोगों में रसायनिक तत्वों को ले कर काफी जागरुकता आई है।
इन उत्पादों को बाजार में ला रहे एमिल फार्मास्युटिक्लस के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने कहा कि आयुथवेदा के तहत आयुर्वेद में वर्णित जड़ी-बूटियों पर आधारित नुस्खों से त्वचा, बाल और विभिन्न अंगों की देखभाल से जुड़े उत्पाद बनाए हैं। इनमें कन्नौज की विशेष सुगंध का इस्तेमाल किया है। इसलिए ये सौंदर्य उत्पाद तो हैं ही इनके औषधीय गुणों के चलते कई प्रकार के संक्रमणों से भी बचाते हैं। जैसे एलोवेरा से बनी सौंदर्य क्रीम त्वचा को हर किस्म के संक्रमण से बचाने में सक्षम है।
उन्होंने बताया कि उत्पादों में भृंगराज, शिकाकाई, तुलसी, तिल, काफी बीन्स, पुदीना, सत्व, प्याज, एलोवेरा समेत कुल 42 जड़ी-बूटियों का अलग-अलग उत्पादों में उपयोग किया गया है। इस प्रकार त्वचा में युवापन बनाए रखने वाली क्रीम में फूलों के अर्क के साथ शुद्ध 24 कैरेट सोने के अंश, कश्मीरी केसर व दुग्ध प्रोटीन को मिलाया गया है। फलों एवं फूलों के अर्क से एक खास फेस वाश बनाया है। उन्होंने कहा कि यह धारणा सही नहीं है कि आयुर्वेद के सौंदर्य उत्पाद ज्यादा महंगे हैं।