scriptगीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड को मिला बुकर पुरस्कार | Gitanjali Shree's Hindi novel Tomb of Sand wins Booker Prize | Patrika News

गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड को मिला बुकर पुरस्कार

locationनई दिल्लीPublished: May 27, 2022 10:39:41 pm

Submitted by:

Mukesh

हिंदी का गौरव: हिंदी के इतिहास में दर्ज हुआ एक और लम्हा

गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड को मिला बुकर पुरस्कार

गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड को मिला बुकर पुरस्कार

लंदन. हिंदी के इतिहास में गुरुवार को एक अनमोल लम्हा दर्ज हो गया। भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास टॉम्ब ऑफ सैंड को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से नवाजा गया। यह उपन्यास इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होने वाला किसी भारतीय भाषा का पहला उपन्यास है।
लंदन में बृहस्पतिवार को आयोजित समारोह में गीतांजलि श्री ने कहा कि मैं इस पल के लिए तैयार नहीं थीं। मैं यह पुरस्कार पाकर अभिभूत हूं। लेखिका ने 50,000 ब्रिटिश पाउंड का पुरस्कार डेजी रॉकवेल के साथ साझा किया। रॉकवेल ने गीतांजलि श्री के उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। इसका मूल शीर्षक रेत समाधि है। गीतांजलि श्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में हुआ था। वे फिलहाल नई दिल्ली में रहती है। वे अभी तक तीन उपन्यास और कई कहानी संग्रह लिख चुकी हैं।

विभाजन की पीड़ा में डूबी महिला की कहानी है रेत समाधि
गीतांजलि श्री ने रेत समाधि की कहानी 80 साल की एक भारतीय महिला के बहाने बुनी है। वह अपने पति के निधन के बाद डिप्रेशन में चली जाती है और एक दिन पाकिस्तान जाने का फैसला कर लेती है। वहां उसकी किशोर उम्र की यादें एक बार फिर उसे जख्मी कर देती हैं। भारत-पाकिस्तान विभाजन की पीड़ा में डूबे इस उपन्यास के पात्र रिश्तों के नए आयाम सामने रखते हैं।

क्या है बुकर पुरस्कार
बुकर पुरस्कार का पूरा नाम मैन बुकर पुरस्कार फॉर फिक्शन है। इसकी स्थापना 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी ने की थी। ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित या अंग्रेजी में ट्रांसलेट की गई किसी एक किताब को हर साल ये खिताब दिया जाता है। पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था।
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