जस्टिस यू.यू. ललित, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर की याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन समुदाय को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक घोषित करने की केंद्र की 1993 की अधिसूचना को मनमानी और तर्कहीन घोषित करने की मांग की गई है। पीठ ने अधिवक्ता अरविंद दातार से पूछा, क्या हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने वाली अधिसूचना जरूरी है।
दातार ने कहा, अधिसूचना के बिना अनुच्छेद 29, 30 के तहत अधिकारों का प्रयोग नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा कि जब तक किसी हिंदू को किसी राज्य में अल्पसंख्यक के दर्जे से वंचित नहीं किया जाता, तब तक पीठ इस मुद्दे पर विचार करने में सक्षम नहीं है। कोर्ट ने सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
केंद्र की अधिसूचना की वैधता को चुनौती
याचिका में भारत सरकार की 6 धर्मों को अल्पसंख्यक घोषित करने वाली अधिसूचना की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया, कई राज्यों व क्षेत्रों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें अल्पसंख्यक घोषित नहीं किया गया, वही अन्य धर्म के लोगों की संख्या आधे से अधिक होने के बाद भी उन्हें अल्पसंख्यक घोषित कर रखा है।