केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि जिस तरह संसद में यह मुद्दा विभिन्न जन प्रतिनिधियों ने उठाया है उसके बाद राजनीतिक स्तर पर इसे गंभीरता से लिया गया है। खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को इस संबंध में और स्पष्टता के लिए कहा गया है। साथ ही मंत्रालय चाहता है कि इस संबंध में कोई भी फैसला होने से पहले और मशविरा किया जाए।
BJP MP हर्षवर्धन सिंह डुंगरपुर ने मंगलवार को संसद में इस संबंध में प्रश्न उठाया थ। उन्होंने पूछा कि इस संबंध में AIIMS जैसे देश के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थान की ओर से करवाए गए इस संबंध में व्यापक अध्ययन पर विचार क्यों नहीं किया जा रहा। इसने अध्ययन के आधार पर सिफारिश की है कि पैकेटबंद खाने-पीने की चीजों पर सीधी चेतावनी छापी जाए। उत्पाद में वसा, चीनी या नमक fat/ sugar / salt की मात्रा अधिक होने पर ऊपर की ओर चेतावनी के तौर पर लिखा जाए कि इसकी मात्रा अधिक है। सपा सांसद जया बच्चन और भाजपा सांसद महेश पोद्दार ने भी इस मुद्दे को उठाया।
पत्रिका ने अपनी खबर में बताया था कि खाद्य प्राधिकरण जल्दी ही हेल्थ स्टार रेटिंग की ऐसी व्यवस्था ला रहा है जिसके मुताबिक पैकेटबंद खाने-पीने की नुकसानदेह चीजों पर भी स्टार छपेंगे। जबकि आम लोगों में स्टार को श्रेष्ठता का प्रतीक माना जाता है।


