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हस्तशिल्प कलाकार हुए स्टेट अवार्ड से सम्मानित

locationनई दिल्लीPublished: Mar 19, 2021 08:55:57 pm

Submitted by:

Vivek Shrivastava

हम हिंदुस्तानियों के लिए कला जीने का अंदाज और कलाकार जीने का सहारा हैं- मनीष सिसोदिया

हस्तशिल्प कलाकार हुए स्टेट अवार्ड से सम्मानित

हस्तशिल्प कलाकार हुए स्टेट अवार्ड से सम्मानित

नई दिल्ली। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने शुक्रवार को दिल्ली सचिवालय में हस्तशिल्प कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 16 लोगों को स्टेट हैंडीक्राफ्ट अवार्ड देकर सम्मानित किया। मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम हिंदुस्तानियों के लिए कला जीने का अंदाज है और कलाकार जीने का सहारा हैं। हस्तशिल्प कला जैसी खूबसूरती न तो मशीनों से और न तो थ्री डी से आ सकती है। हम मशीनों के साथ नहीं जिंदा रह सकते, बल्कि कला और कलाकारों के साथ ही जिंदा रह सकते हैं। वहीं, उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार हस्तशिल्प कला को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदर्शनी का आयोजन करने समेत कई कदम उठाएगी।

दिल्ली सचिवालय के मुख्य सभागार में स्टेट हैंडीक्राफ्ट अवार्ड समारोह का आयोजन किया गया। इस अवार्ड समारोह के मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया रहे। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और उद्योग मंत्री सत्येंद्र जैन ने हैंडीक्राफ्टके क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 16 कलाकारों को सम्मानित किया। यह अवार्ड वर्ष 2016 और 2017 में चयनित लोगों को दिया गया। कोविड की वजह से अभी तक चयनित लोगों को अवार्ड नहीं दिया जा सका था।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि सरकार की मंशा है कि इस कलाकारी का सम्मान किया जाए और इसको आगे बढ़ाया जाए। यह इसलिए नहीं कि इसमें कुछ लोग जुड़े हुए हैं, बल्कि इसलिए कि यह भारत के जीने का अंदाज है। यह हम हिंदुस्तानियों के जीने का अंदाज रहा है। कुछ लोगों केलिए कला व्यवसाय होगी, लेकिन हमारे हिंदुस्तानियों के लिए हजारों सालों से जीने का अंदाज रही है। हमारी माताएं-बहनें, हमारे किसान, हमारे मजदूर, हमारे काम करने वाले और हमारे गांव के कारीगर इस काम को अपने जीने के साथ-साथकरते थे। वे खेती करते रहते थे और उसके साथ यह भी करते थे। वे इसलिए करते थे, क्योंकि उन्हें यह करने में मजा आता है। वो इसे बनाने में मजा लेते थे और साथ-साथ उसका कुछ व्यवसायिक पहलू भी होता था। इससे रोजगार भी निकल आते थे। लोग जब शहरों में जाते थे, उनको आमदनी भी होती थी। लेकिन सबसे बड़ी चीज थी कि वह जीने के अंदाज में थी। हिन्दुस्तानियों के लिए कला जीने का अंदाज रही है। इसलिए कलाकार हमारे लिए जीने का सबसे बड़ा सहारा है।

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