टीवी,पत्र-पत्रिकाओं में विज्ञापन और वीडियो बनाने में किया गया खर्च
आपको बता दें कि पानीपत के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता पी.पी.कपूर ने सरकार से जवाब मांगा था। जिसपर उन्हें बताया गया कि हरियाणा सरकार ने 17 करोड़ रुपए 21 अक्टूबर से पांच नवंबर 2015 के बीच खर्च की थी। आरटीआई के जवाब में बताया गया कि सरकार ने यह पैसे न केवल अपनी उपलब्धियों को गिनाने वाले विज्ञापनों पर खर्चे किए, बल्कि मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट से जुड़ी बैठकों और जनसभाओं के विज्ञापनों पर भी पानी की तरह पैसा बहाया था। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार ने 10 करोड़ रुपए सिर्फ अखबारों में जारी किए विज्ञापनों पर खर्च कर दिए गए थे, जबकि कुल 4.29 करोड़ रुपए रेडियो चैनलों, टेलीविजन और वेबसाइटों पर आने वाले विज्ञापन पर खर्च हुए थे। टीवी विज्ञापनों पर जो पैसा खर्च किया गया उसमें से खट्टर सरकार ने 1.39 करोड़ रुपए राष्ट्रीय चैनलों पर प्रसारित विज्ञापनों पर की थी। दूसरी ओर क्षेत्रीय चैनलों पर 1.19 करोड़ रुपए के विज्ञापन दिखाए गए थे। इसके अलावे मैग्जीन में दिए गए विज्ञापनों पर करीब 25 लाख रुपए खर्च किया गया था। हरियाणा सरकार ने इन सबके अलावे उपलब्धियों को प्रचारित करन के लिए कुल 28 वीडियो फिल्में बनाई गई थीं जिसमें तकरीबन 1.47 करोड़ रुपए बहा दिए थे।
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RSS से जुड़े मैग्जीन में दिए गए थे विज्ञापन
आपको बता दें कि सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े कुछ मैग्जीनों में विज्ञापन छपवाए थे। इसके अलावा सरकार ने करीब 6 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री और कबीना मंत्रियों की बैठकों एवं सभाओं की जानकारियों से जुड़े विज्ञापनों में खर्च कर दिए। बता दें कि आरटीआई कार्यकर्ता पी.पी.कपूर ने बताया कि इनके अलावा सरकार से उसी वर्ष राज्य के युवाओं को मुहैया कराए गए रोजगार के बारे में जानकारी मांगी गई जिसके जवाब में सरकार ने कोई भी सूचना नहीं दी।