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सेहत और साल 2021: उम्मीद की एंटीबॉडी से भरा होगा हमारा आने वाला वक्त…

locationनई दिल्लीPublished: Dec 16, 2020 02:29:24 pm

Submitted by:

Mukesh Kejariwal

सेहत के लिहाज से कैसा होगा आने वाले साल। पढ़िए देश की पूर्व स्वास्थ्य सचिव सुजाता राव की बात-

सेहत और साल 2021: उम्मीद की एंटीबॉडी से भरा होगा हमारा आने वाला वक्त…

सेहत और साल 2021: उम्मीद की एंटीबॉडी से भरा होगा हमारा आने वाला वक्त…

कोरोना ने आए बंधन टूटेंगे, हम इस डर से जीतेंगे

कोरोना जैसे दूसरे खतरे भी आएंगे। यह वायरस भी म्युटेट कर के लोगों को परेशान करने की कोशिश करेगा। लेकिन अब दुनिया और हमारा देश इनसे निपटने के लिए बेहतर स्थिति में होगा। लोग चिंता और अवसाद से बाहर निकल सकेंगे।

इंसानियत को कई नई नेमतें मिलेंगी

उम्र की वजह से आंखों की रौशनी घटने जैसी समस्याओं को दूर करने के लिहाज से वैज्ञानिकों ने काफी प्रगति की है। ऐसे बहुत से शोध होंगे जो इंसानियत के सहारा देंगे। जो बड़ी तादाद में डाटा इकट्ठा किया गया है उससे शोध आगे बढ़ेगा। ऐसे कई प्रयोगों पर हमारी नजर होगी जो इंसानियत के लिए बड़ी नेमत ले कर आने वाली है।

दिमाग पर लगी सीमाएं टूटेंगी

कोरोना ने हमारे शरीर और दीमाग दोनों ही पर सीमाएं लगाई हैं। मास्क और सामाजिक दूरी जैसे जरूरी बंधनों को तो टीका आने और हमें लग जाने के बाद भी कायम रखना है। लेकिन दिमाग से इसके डर को बाहर करना है। यह काम 2021 में हो सकेगा। एक बार डर निकला तो स्थिरता आएगी, जिंदगी पहले जैसी फुल स्पीड पर दौड़ पाएगी।

हौसला और पॉजिटिव एनर्जी रही है हमारी ताकत

हम हिंदुस्तानी बहुत हौसले वाले होते हैं। पॉजिटिव एनर्जी और उम्मीद हमारी सबसे बड़ी ताकत रही है। आने वाले वर्ष और दशक में इसमें बड़ा इजाफा हो सकता है। साल की शुरुआत कोरोना टीके की सौगात से होनी चाहिए। इस पूरे वर्ष हमारी नजर टीके पर टिकी होगी। कितने ज्यादा लोगों को लगा, कितना सुरक्षित रहा… साथ ही कोरोना की वैश्विक महामारी से निपटने के लिए इसके इलाज और प्रबंधन पर भी हम सब को मिल कर काम करना है।

सरकार का बहुत सारा धन और समय इसमें लगेगा। अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव की वजह से सरकारी खजाने में बहुत धन भी नहीं है। इसलिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में किसी नई सरकारी योजना की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। कोरोना आने के बाद से टीबी और एचआइवी एड्स जैसी दूसरी महामारियों का खतरा बढ़ गया है। इनसे निपटने के लिए हमें खास ध्यान देना होगा। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) की ताजा रिपोर्ट बताती है कि हमने टीकाकरण और परिवार नियोजन के मोर्चे पर अच्छी प्रगति की है। पूरी दुनिया के साथ मिल कर भारत ने जो सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) तय किए हैं, उन पर हमें और तेजी से आगे बढ़ना है।

कुछ काम सरकार के, कुछ होंगे हमारे

हर हिंदुस्तानी सेहतमंद होगा तभी देश की अच्छी तरक्की होगी। इसलिए ना सिर्फ कोरोना से निपटने का बल्कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का अपना काम भी तेज करना होगा। इस एक बड़ी समस्या से जूझने में दूसरी सेहत से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने की हमारी रफ्तार कम नहीं हो यह सरकारों को भी देखना है और खुद हमें भी।

ये हों सरकार की प्राथमिकता
सरकार को लोगों में यह भरोसा कायम करना होगा कि दुबारा ऐसी कोई महामारी या आपदा आई तो हम उससे निपटने के लिए तैयार होंगे। इसके लिए पब्लिक हेल्थ पर ध्यान देना होगा। यह काम सिर्फ कारपोरेट के भरोसे नहीं होगा। जो सरकारी ढांचा है, उसे भी मजबूत करना होगा। स्वास्थ्य जांच करने वाली लैबोरेट्रीज की सुविधा बेहतर करनी होगी। इसी तरह शोध पर भी ध्यान देना होगा। पिछड़े राज्यों पर ज्यादा ध्यान देना होगा। अमीर-गरीब सभी में यह विश्वास जगना चाहिए। जिन राज्यों में सेहत की स्थिति सबसे बिगड़ी है, वहां की सरकार इस जरूरी काम की बजाय सिर्फ लोगों को भ्रमित करने वाले कामों में जुटी है। खुद पीएम नरेंद्र मोदी इन राज्यों से कहें कि स्वास्थ्य उनकी प्राथमिकता में होना चाहिए।

बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य जरूरी

इस साल के दौरान आउटडोर खेल-कूद में भागीदारी काफी घट गई है। लेकिन जब सब कुछ खुल रहे हैं तो अब स्कूल-कॉलेजों को खोलने पर विचार करना होगा। क्लास के छात्रों को अलग-अलग समूह में बांट कर अलग-अलग दिन बुलाइए। जरूरी है तो एक दिन में चार पाली लगाइए। छात्रों में ऐसा कोई लक्षण हो तो उसे छुट्टी दीजिए। वर्ना बच्चों और किशोरों में भी मनोवैज्ञानिक समस्याएं बढ़ती जाएंगी।

हौसले और प्रयास को रखें कायम

आने वाले समय में वर्क फ्रॉम होम हमारी कार्य संस्कृति का अहम हिस्सा होगा। यह कंपनियों और कर्मियों के लिए ही नहीं देश और समाज के लिए भी अच्छा है। कंपनियों का दफ्तर पर आने वाला खर्च कम होगा। कर्मचारियों का समय बचेगा। ट्रैफिक पर बोझ, प्रदूषण, सड़क हादसे, हादसों से मौत.. सब घटेंगे। हौसले और प्रयास से हम सेहतमंद भारत बनेंगे।

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