हिंदी माध्यम के आइएएस ज्यादा प्रतिबद्ध – जैन
शिक्षा और संस्कृति के लिए सक्रिय ‘प्रज्ञानम् इंडिका’ की ओर से ‘सिविल सेवा परीक्षा और हिंदी माध्यम’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय ई-संगोष्ठी में राजस्थान कैडर के आइएएस अधिकारी निशांत जैन ने सिविल सेवा परीक्षाओं में भारतीय भाषाओं के चयनित अभ्यर्थियों की संख्या पांच प्रतिशत से भी कम होने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों में प्रतिभा की कमी नहीं होती बल्कि वे अपेक्षाकृत सामाजिक रूप से अधिक प्रतिबद्ध होते हैं। सिविल सेवा परीक्षाओं में अकादमिक जगत से जुड़े लोगों की निष्क्रियता और कोचिंग की अति सक्रियता के कारण भी विसंगतियाँ आई हैं जिसे दूर करने की जरूरत है।
इसी तरह राजस्थान निवासी और अब गुजरात कैडर के आइएएस अधिकारी गंगा सिंह ने कहा कि हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों के पास संसाधनों का अभाव जरूर होता है, लेकिन उन्हें आत्मविश्वास बनाए रखते हुए मेहनत करना चाहिए। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. निरंजन कुमार ने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग का महत्त्वपूर्ण योगदान है। पर आयोग पिछले कुछ समय से सवालों के घेरे में है जिसमें प्रश्नों के अनुवाद की भी समस्या शामिल है।
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परीक्षाओं में भाषा की विसंगति अभ्यर्थियों के साथ अन्याय। अपने स्वाभाविक विकास के लिए स्वभाषा अत्यंत आवश्यक है। दुनिया के विभिन्न विकसित देश इसका उदाहरण हैं।
-प्रसिद्ध शिक्षाविद् अतुल कोठारी
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सिविल सेवा परीक्षा में तमाम समस्याओं से परे अपनी मौलिकता पर जोर दें। ये राष्ट्रीय चरित्र की परीक्षा हैं और अभ्यार्थी अपने व्यक्तित्व में विकास पर ध्यान दें। परीक्षा में अत्यंत संक्षिप्त और साररूप में उत्तर लिखें।
– आइएएस विवेक पाण्डेय
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शुरुआत में भाषा की समस्या भले ही आए, लेकिन प्रतिभा को वह बहुत समय तक रोके नहीं रख सकती। इसलिए अभ्यर्थियों को अन्य बातों पर ध्यान दिए बिना अपने पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
¬- आइएएस डॉ. सुनील कुमार बर्णवाल