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एक्सक्लूसिव : IDSP की ‘EWAR ‘ रिपोर्ट से होगा लॉक डाउन के भविष्य का फैसला

locationनई दिल्लीPublished: Apr 06, 2020 02:03:55 pm

Submitted by:

Mukesh Kejariwal

– अगले चरण में इलाकाई लॉक डाउन के लिए रहिए तैयार
– लॉक डाउन नहीं बढ़ा तो भी प्रभावित ब्लॉक व जिलों में होगी और अधिक सख्ती
– बड़े शहरों और भीड़-भाड़ वाली जगहों को भी मिलेगी सिर्फ सीमित छूट
– अब तक के आकलन में राष्ट्रीय लॉक डाउन को बढ़ाने का प्रस्ताव नहीं
– किसानों की तरह दिहाड़ी मजदूरों के लिए भी रास्ता निकालने की तैयारी

आइडीएसपी की ‘ईवार’ रिपोर्ट से होगा लॉक डाउन के भविष्य का फैसला

आइडीएसपी की ‘ईवार’ रिपोर्ट से होगा लॉक डाउन के भविष्य का फैसला

नई दिल्ली। कोरोना को काबू करने के लिए किए गए 21 दिन के राष्ट्रीय लॉक डाउन को आगे बढ़ाने का फैसला आइडीएसपी यानी एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम की ईवार (अर्ली वार्निंग एंड रिस्पांस) रिपोर्ट के आधार पर होगा। हालांकि राष्ट्रीय लॉक डाउन की मियाद पूरी होने के साथ ही और सख्त इलाकाई लॉक डाउन लागू करने की पुख्ता तैयारी कर ली गई है। इलाके का चयन प्रभावित ब्लॉक और जिलों के आधार पर होगा। साथ ही लॉक डाउन खत्म होने के बावजूद महानगरों और बड़े शहरों को पूरी तरह छूट नहीं दी जाएगी।

केंद्र सरकार के एक शीर्ष सूत्र ने बताया कि लॉक डाउन को आगे बढ़ाने का फैसला अब किसी राजनीतिक या प्रशासनिक स्तर पर नहीं, बल्कि तकनीकी आधार पर लिया जाएगा। कोरोना मरीजों की संख्या के साथ ही गंभीर स्वसन संबंधी बीमारी (सीवियर एक्यूट रेस्परेटरी इलनेस) के रोगियों की चलाई जा रही निगरानी भी इसमें प्रमुख आधार बनेगा।

क्या है इलाकाई लॉक डाउन

विशेषज्ञों की राय से बनी केंद्र की योजना में पाया गया है कि इस बीमारी के पूरे देश में एक जैसा असर करने की आशंका बहुत कम है। इसलिए प्रभावित इलाकों पर ज्यादा ध्यान और संसाधन लगाए जाएं। जिन जगहों पर कई मरीज पाए गए, वहां पूरे ब्लॉक या जिले के स्तर पर लोगों की आवाजाही पूरी तरह रोक दी जाएगी। यह पाबंदी अभी की राष्ट्रीय लॉक डाउन से भी ज्यादा सख्त होगी। साथ ही यह तय किया गया है कि महानगरों और शहरों में मरीज नहीं पाए जाने के बवजूद इसका खतरा ज्यादा रहेगा। ऐसे में यहां पूरी छूट नहीं दी जाएगी।

नए प्लान में बताए प्रसार के 5 स्टेज

विदेश से आए मामले

– स्थानीय सीमित प्रसार

– कुछ इलाकों में आउटब्रेक

– व्यापक स्तर पर सामुदायिक प्रसार

– भारत में इसका एंडेमिक या स्थानीय महामारी बन जाए

सरकार ने इसके प्रसार के चार स्टेज को पांच में बदल दिया है। सामुदायिक प्रसार से पहले तीसरे चरण के तौर पर ‘कुछ इलाकों में आउटब्रेक’ का एक और स्टेज जोड़ दिया गया है। सरकार के मुताबिक अभी भारत इसी तीसरे चरण में हैं। इसके पांचवें चरण में पहुंचने का मतलब होगा कि आने वाले लंबे समय तक इसका खतरा भारत में बना रहेगा।

केंद्रीय योजना से ले सकेंगे धन

संबंधित इंतजाम के लिए जिला कलेक्टर को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के फ्लेक्सी पूल से खर्च करने की छूट होगी। इसके अलावा गृह मंत्रालय के निर्देश के अनुरूप एसडीआरएफ का भी उपयोग किया जा सकेगा।

कब मिलेगी मरीज को छुट्टी

कोरोना मरीजों को सिर्फ ठीक हो जाने या लक्षण समाप्त हो जाने पर छुट्टी नहीं मिलेगी। ठीक होने के बाद उसके एक-एक कर दो लैब टैस्ट किए जाएंगे। दोनों बार रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही उसे छुट्टी दी जाएगी।

रविवार को भी जिलाधिकारियों से बैठक

रविवार को भी केंद्र और राज्य सरकार के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग हुई। इसमें सभी जिलाधिकारियों को शामिल किया गया था। जिलों में कौन सी व्यवस्था तैयार रखनी है, इसके निर्देश दिए गए हैं।

गरीबों, मजदूरों के लिए विशेष विचार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले अब तक के फीडबैक में सबसे अहम है गरीबों और मजदूरों की समस्या। लॉक डाउन आगे बढ़ाने की स्थिति बनी तो इनको होने वाली आर्थिक समस्या के लिए रास्ता निकालने पर अलग से प्रावधान किए जाएंगे। खेती से जुड़ी गतिविधियों को पहले ही लॉक डाउन से बाहर कर दिया गया था। जरूरत पड़ने पर कुछ औद्योगिक इकाइयों को भी संचालन की छूट दी जा सकती है।

बड़े स्तर पर क्वेरैंटीन की सुविधा रखें

राज्यों को ना सिर्फ वायरस की जांच बल्कि क्वेरैंटीन की सुविधा भी पुख्ता करने को कहा गया है। क्वेरैंटीन सुविधा राज्यों को अपने स्तर पर करनी है। मरीजों की पहचान से ले कर जरूरी सामानों की आवाजाही तक की सारी व्यवस्था भी इन्हें अपने स्तर पर ही करनी है। इन काम को संभालने के लिए पर्याप्त ‘कोविड वारियर्स’ और उनके लिए विशेष कंटेनमेंट जोन तैयार कर लेने को भी कहा गया है।

लॉक डाउन हटाने के बाद क्या

– प्रभावित इलाकों में ज्यादा सख्त प्रतिबंध

– देश भर में रैपिड टेस्ट और आरटी-पीसीआर की पुख्ता व्यवस्था

– बड़े पैमाने पर क्वेरैंटीन की सुविधा

– व्यवस्था संभालने राज्यों में पर्याप्त ‘कोविड-वारियर्स’ की उपलब्धता

– कहीं भी मेट्रो, ट्रेन और बसों में सीमित संख्या में चढ़ें लोग

– सरकार व निजी कंपनियों में अधिक से अधिक वर्क फ्रॉम होम हो

– सोशल डिस्टेंसिंग और छींकने-खांसने संबंधी सावधानी जारी रहे

– कोई बड़ा सार्वजनिक धार्मिक, सामाजिक या राजनीतिक कार्यक्रम न हो

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