भाग रहा था सफरुद्दीन
इसकी जानकारी देते हुए डिप्टी कमिश्नर राजेश देव ने बताया कि वह अचानक ही पुलिस की पकड़ में आ गया। हुआ यूं कि इंस्पेक्टर नीरज चौधरी और सब इंस्पेक्टर कुलदीप ने 3 अगस्त को गगन सिनेमा के पास एक कार को रोका। जब कार रोकी तो देखा कि गाड़ी तो सफरुद्दीन ही चला रहा है। उन लोगों ने उसे पहचान लिया। उसके भी समझ में आ गया कि वह पहचान लिया गया है। तत्काल वह भाग निकला। पुलिस ने करीब 50 किलोमीटर तक उसका पीछा कर प्रगति मैदान में उसे अपनी गिरफ्त में ले ही लिया।
कॉरपोरेट कंपनी की तरह हर साल 100 गाड़ियों की चोरी का था लक्ष्य
पूछताछ में सफरुद्दीन ने स्वीकार किया कि उसने 5 सालों में 500 कारों की चोरी की है। उसके गैंग ने हर साल 100 लग्जरी कारों की चोरी का लक्ष्य निर्धारित कर रखा था। वह अपने सहयोगी मोहम्मद शरीक और गैंग के साथ हैदराबाद से दिल्ली हवाई जहाज से आता था। जिस कार की चोरी करनी होती थी, उसकी रेकी पहले ही कर ली जाती थी। उसके बाद उसकी पूरी तैयारी कर वह दिल्ली आता था। कार का सॉफ्टवेयर, जीपीएस और लॉकिंग सिस्टम को तोड़ने के लिए वे अपने साथ लैपटॉप, हाई टेक गैजेट्स और टूल्स भी साथ ही लेकर आता था और चोरी के तुरत बाद वे सब हवाई मार्ग से हैदराबाद वापस लौट जाते थे।