अमित शाह ने कहा कि जब वो गुजरात के गृह मंत्री थे तब गुजरात के पड़ोसी राज्यों की सीमाओं पर आईजी स्तर की क्राइम कॉन्फ्रेंस नियमित रूप से होती थीं। क्राइम कॉन्फ्रेंस को परिणामलक्षी बनाने के लिए डेटा चाहिए और जब इस पर काम करते हैं तो एनसीआरबी का डेटा बहुत काम आता है और इसके माध्यम से सीमांत जिलों की क़ानून-व्यवस्था पर नियंत्रण करने में भी ख़ासी मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि जब विभिन्न राज्य पुलिस एकवर्षीय कार्ययोजना बनाती हैं तो ये पता चलता है कि इनका स्रोत एनसीआरबी का डेटा होता है। उन्होने कहा कि हर राज्य को अपनी वार्षिक पुलिस रणनीति बनाने में एनसीआरबी के डेटा का उपयोग करना चाहिए और अपराध नियंत्रण में इसका बहुआयामी और बहुउद्देशीय उपयोग होना चाहिए तभी ये संस्था परिणामलक्षी बनेगी। इसका उपयोग तभी हो सकता है जब इसे सिर्फ़ एक पुस्तक ना मानते हुए हर ज़िले, थाने, रेंज और डीजीपी मुख्यालय में इसका विश्लेषण कर उसका उपयोग करने की आदत डालें।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सिर्फ़ डेटा बनाने से कुछ नहीं होता, राज्यों में जाकर संवाद करना पड़ेगा, इसके बारे में बताना पड़ेगा, इसके उपयोग की पद्धति बतानी होगी। कुछ राज्यों ने इसका उपयोग किया है शाह ने अपराध व अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम हैकाथॉन का भी उद्घाटन हुआ है और BPR&D को हर राज्य में इसे इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि एकमात्र ऐसा रास्ता है जिसके ज़रिए हम अपराध करने वालों से दो क़दम आगे रह सकते हैं।
गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने ICJS के दूसरे चरण का लक्ष्य लगभग 3,500 करोड़ रूपए के ख़र्च से वर्ष 2026 तक रखा है। इसके पूरा होने के बाद आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस, ब्लॉक चेन, एनालिटिक टूल और फ़िंगर प्रिंट सिस्टम का उपयोग करके इसे अधिक से अधिक उपयोगी बनाना चाहिए।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, अजय कुमार मिश्र, केन्द्रीय गृह सचिव, NCRB के निदेशक और गृह मन्त्रालय तथा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। अमित शाह NCRB के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने वाले देश के पहले गृह मंत्री हैं।
