नई दिल्ली

ISRO: कल अंतरिक्ष में होगा EOS-3 सैटेलाइट का प्रक्षेपण, दुश्मन और आपदाओं पर रखेगा नज़र

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) कल अंतरिक्ष में ईओएस-03 (EOS-03) का प्रक्षेपण करेगा। इसका प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 12 अगस्त सुबह पांच बजकर 43 मिनट पर होगा।

नई दिल्लीAug 11, 2021 / 08:14 am

Nitin Singh

इसरो

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। दरअसल, कल (12 अगस्त) इसरो अपने देश का पहला पृथ्वी की निगरनी रखने वाला उपग्रह ईओएस-03 (EOS-03) का प्रक्षेपण करने वाला है। अंतरिक्ष में ईओएस -3 (EOS-3) सैटेलाइट लॉन्च करने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। जानकारी के मुताबिक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 12 अगस्त सुबह पांच बजकर 43 मिनट पर उपग्रह ईओएस-03 का प्रक्षेपण किया जाएगा। हालांकि इसके प्रक्षेपण का समय मौसम स्थिति पर निर्भर करता है।
आपदाओं से करेगा खबरदार

जानकारों का कहना है कि इसका प्रक्षेपण सफल होने से भारत की ताकत में और इजाफा होगा। यह ईओएस-03 उपग्रह भारतीय उपमहाद्वीप में बाढ़ और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी में सक्षम होगा। बताया गया कि ईओएस-03 अति उन्नत उपग्रह है, जिसे जीएसएलवी एफ 10 यान की मदद से धरती की कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
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इसरो (ISRO) के मुताबिक यह एक नियमित अंतराल पर अपने से संबधित क्षेत्रों की रियल-टाइम इमेजिंग प्रदान करेगा। इसका उपयोग प्राकृतिक आपदाओं, प्रासंगिक घटनाओं और किसी भी अल्पकालिक घटनाओं की निगरानी के लिए भी किया जा सकता है। यह उपग्रह कृषि, वानिकी, खनिज विज्ञान, आपदाओं की चेतावनी और समुद्र विज्ञान से संबंधित जानकारी जुटाएगा।
सीमा सुरक्षा में भी मददगार

इसके साथ ही ये सैटेलाइट सीमा की सुरक्षा में भी मदद करेगा। दरअसल, ये एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है जो भारत की जमीन और उसके सीमाओं पर अंतरिक्ष से नजर रखेगा। रॉकेट EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा, जहां पर ये 36 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर धरती का चक्कर लगाता रहेगा।
क्यों खास है EOS-03 सैटेलाइट

इस सैटेलाइट की खास बात हैं इसके कैमरे हैं। इस सैटेलाइट में तीन कैमरे लगे हैं, पहला मल्टी स्पेक्ट्रल विजिबल एंड नीयर-इंफ्रारेड (6 बैंड्स), दूसरा हाइपर-स्पेक्ट्रल विजिबल एंड नीयर-इंफ्रारेड (158 बैंड्स) और तीसरा हाइपर-स्पेक्ट्रल शॉर्ट वेव-इंफ्रारेड (256 बैंड्स)। पहले कैमरे का रेजोल्यूशन 42 मीटर, दूसरे का 318 मीटर और तीसरे का 191 मीटर। यानि इस आकृति की वस्तु इस कैमरे में आसानी से कैद हो जाएगी।
भारत का सबसे भारी ऑब्जरवेशन सैटेलाइट

EOS-3 सैटेलाइट OPLF कैटेगरी में आता है। इसका मतलब ये है कि सैटेलाइट 4 मीटर व्यास के मेहराब जैसा दिखाई देगा। ये स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन से लैस रॉकेट की आठवीं उड़ान होगी जबकि GSLV रॉकेट की 14वीं उड़ानलॉन्च के 19 मिनट के अंदर EOS-3 सैटेलाइट अपने निर्धारित कक्षा में तैनात कर दिया जाएगा। 2268 किलोग्राम वजन का EOS-3 सैटेलाइट अब तक का भारत का सबसे भारी अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट होगा। इससे पहले भारत ने 600 से 800 किलोग्राम के सैटेलाइट लॉन्च किए थे।

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