मात्र 17 साल पहले बसा है यह कॉलोनी
बता दें कि यह कोई बहुत पुरानी कॉलोनी नहीं है। साल 2001 में इसे बसाया गया है। गांधी विहार की एफ ब्लॉक कॉलोनी पहले एक डंपिंग ग्राउंड था। लोग बताते हैं कि इस कॉलोनी के इस हाल के लिए डीडीए और एमसीडी के बीच फंसा मामला भी जिम्मेदार है। यह कॉलोनी अपने आप में खस्ताहाल दिल्ली का अद्भुत उदाहरण है। इसके चारों तरफ न तो कोई सड़क है, न ही नाली या ड्रेनेज सिस्टम। यहां तक कि यहां कूड़े की सफाई का भी कोई इंतजाम नहीं है। अगर आप इस कॉलोनी से होकर गुजरें तो पाएंगे कि चारों तरफ कूड़े का ढेर लगा है। बरसात के दिनों में कॉलोनी दरिया बन जाता है। इस वजह से दरार वाली तथा झुकी इमारतों के गिरने की आशंका कई गुनी ज्यादा हो जाती है।
1500 से ज्यादा घर हैं इस इलाके में
अनुमान है कि गांधी विहार के एफ ब्लॉक में 1500 से भी ज्यादा मकान बने हुए हैं। इस इलाके में 5000 से भी ज्यादा छात्र और कई परिवार रहते हैं। करीब 10 हजार के आसपास आबादी बताई जाती है। इस इलाके के ज्यादातर मकानों को मकान मालिकों ने किराये पर दे रखा है। वह इन मकानों में नहीं रहते। बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय के करीब होने के कारण इस इलाके में ज्यादातर छात्र रहते हैं।
हो सकता है बड़ा हादसा
यहां किराये पर रहने वाले एक छात्र ने बतायया कि वह पिछले चार सालों से यहां रह रहे हैं। इस इलाके की अधिकतर मकानों में दरार पड़ चुका है। कई मकानें झुक गई हैं। गंदगी इतनी है कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। बिल्डिंगों के गिरने से तो खतरा है ही। गंदगी की वजह से महामारी भी फैल सकती है। मकानों की हालत इतनी जर्जर है कि बिना भूकंप के भी गिर सकती हैं। समय रहते अगर प्रशासन नहीं जागा तो किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।