नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल (NHEV)ने शुक्रवार को दिल्ली से जयपुर इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए दूसरे और अंतिम फेस के ट्रायल रन की शुरुआत की। ट्रायल रन की शुरुआत इंडिया गेट के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से की गई। इस ट्रायल रन के जरिए 278 किमी पर ई-हाइवे पर इलेक्ट्रिक बस और कार को महीने भर के लिए लगे चार्जर और तकनीक के साथ ट्रायल किया जाएगा। यह ट्रायल रन ईज ऑफ डुइंग बिजनेस (EoDB)के जरिए शुरू किया गया है।
नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल (NHEV)ने शुक्रवार को दिल्ली से जयपुर इलेक्ट्रिक हाईवे के लिए दूसरे और अंतिम फेस के ट्रायल रन की शुरुआत की
एनएचईवी के इस ट्रायल रन की बदौलत 30 दिनों के दौरान यह जानकारी मिल सकेगी कि सड़कों पर वास्तविक स्थित में इलेक्ट्रिक व्हीकल का प्रदर्शन कैसा रहता है। साथ ही जाम और बारिश जैसी विकट परिस्थितियों से कैसे सामना किया जाएगा। इस ट्रायल में ई-व्हीकल के समय और रेंज को भी पूरे महीने भर परखा जाएगा। महीने भर में अधिकतम रिले ट्रिप की संख्या निकाली जाएगी। एनएचईवी द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तहत 500 किमी के देश के पहले अंतरराज्यीय इलेक्ट्रिक हाईवे का 210 किमी का पहला चरण दिल्ली से आगरा तक 2020-2021 में पूरा किया गया था। जिसके ट्रायल रन की शुरुआत भी दिल्ली के इंडिया गेट से हुई थी। 500 किमी का ये इलेक्ट्रिक हाईवे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, और राजस्थान से गुजरेगा। जिसके लिए 20 चार्जिंग स्टेशन और 10 इंफ्रास्ट्रक्चर डिपो बनाए जाने हैं। इस ट्रायल में जहां इनके लिए प्रस्तावित स्थानों पर सहमति के लिए वाहनों की रेंज और तकनीकी आंकड़ों का इस्तेमाल होगा।
ई-हाईवे बनने का रास्ता होगा साफ एनएचईवी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अभिजीत सिन्हा ने कहा कि दिल्ली से आगरा के पिछले 210 किमी के तकनीकी ट्रायल के बाद अब 278 किमी के इस कमर्शियल ट्रायल से देश के पहले 500 किमी के इलेक्ट्रिक हाईवे बनने का रास्ता साफ जो जाएगा। ट्रायल में प्रत्येक स्तर के भागीदारों के हितों को सुरक्षित किया जाता है। जिसमें ईवी के यूजर बसो और इलेक्ट्रिक कार के यात्री, स्टेशन और कैब सर्विस के आपरेटर, स्टेशन और इंफ़्रा के निवेशक तथा बैंक और राज्य एवं केंद्र सरकार प्रमुख है। पिछले ट्रायल में सुनिश्चित किया गया था की 30 मिनट में ईवी को हाइवे पर आपातकालीन तकनीकी सहायता मिले, वाहन ऑपरेटर खरीद सकेंगे 30 फीसदी कम कीमत पर वाहन, और 3 साल में वसूल हो चार्जिंग स्टेशन में लगे इंफ़्रा की लागत। जिसे आज इस ट्रायल में व्यावहारिक रूप से देखा जा सकता है।
ईवी मोबिलिटी के सेक्टर में बड़ी पहल अभिजीत सिन्हा ने कहा कि यह देश के ईवी मोबिलिटी सेक्टर में बड़ी पहल में से एक है। कोई भी तकनीक तभी सफल मानी जा सकती है जब तक वह आम लोगों और समाज के लिए आर्थिक रूप से मददगार हो। यह ट्रायल रन न केवल ईवी की व्यवहार्यता पर है बल्कि ये आम लोगों को आसान भाषा में समझाने के लिए एक ढांचे का काम भी करेगा। ये ट्रायल किसी भी गड़बड़ को खत्म करने में भी मदद करेगा। 2070 तक अपने देश में कार्बन न्यूट्रैलिटी के अपने तय किए लक्ष्य को पूरा करने के लिए, इलेक्ट्रिक वाहनों को एक आम आदमी का वाहन बनने की जरूरत है। दिल्ली से जयपुर के लिए आज से शुरू हो रहे इस ट्रायल के 4 प्रमुख आयाम है इलेक्ट्रिक बस में एक सीट का किराया, एक ईवी कार या एसयूवी का एक दिन का किराया, एक किमी नेशनल हाईवे को इलेक्ट्रिक हाईवे बनाने की लागत और 1 साल में इसपर चलने वाले प्रत्येक इलेक्ट्रिक वाहन से होने वाली बचत और प्रदूषण में कमी।
उर्जा मंत्रालय से मिला सहयोग अभिजीत सिन्हा ने बताया कि ऊर्जा मंत्रालय द्वारा चार्जिंग स्टेशन के लिए न्यूनतम औपचारिकता की घोषणा से इसमें काफी सहयोग मिला, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 2020 में बैटरी और वाहन अलग बेचने की अनुमति से ये परियोजना व्यापारिक रूप से अधिक किफ़ायती और ऑपरेटरों के लिए व्यवहारिक हुई तथा ईवी में ‘रिले मॉडल’ का पायलट सम्भव हुआ जिस से कैब आपरेटरों को 30 फीसद कम कीमत पर वाहन मिल सकेंगे और स्टेशन पर लगे चार्जर का पहले दिन से ही 30% से अधिक उपयोगिता युटीलिज़ेशन होगा जबकि राष्ट्रीय औसत 5 फीसदी से भी काम है। इस इलेक्ट्रिक हाइवे के लिए हाइब्रिड फाइनेंसिंग मॉडल विकसित किया गया है जिसके प्रेरणा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय मंत्री नीतिन गडकरी के हाइब्रिड एन्यूटी माडल (HAM) से ली गयी है और सफल ट्रायल के बाद अपग्रेड करने में लग रहे 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर इलेक्ट्रिक हाइवे की लागत को सुनिश्चित कर के मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी जाएगी जिस से की आने वाले सालों में 5000 किमी इ-हाइवे के लक्ष्य को शीघ्रता से पूरा किया जा सकेगा।