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इंसान ही नहीं पक्षी भी लेते हैं लोकतांत्रिक तरीके से निर्णय

locationनई दिल्लीPublished: May 26, 2022 10:36:34 pm

Submitted by:

Mukesh

शोध : शोर मचाकर या अद्र्धचंद्रमा बनाकर जताते हैं आम सहमति, इसके बाद लेते हैं फैसला

इंसान ही नहीं पक्षी भी लेते हैं लोकतांत्रिक तरीके से निर्णय

इंसान ही नहीं पक्षी भी लेते हैं लोकतांत्रिक तरीके से निर्णय

लंदन. लोकतांत्रिक प्रकियाओं के तहत शोर मचाकर निर्णय पर सहमति इंसान ही नहीं पक्षी भी देते हैं। उनका तेज आवाज में शोर मचाना उनका फैसला लेने का निर्णय होता है। इसके के बाद भी पक्षी अपने बसेरे की ओर जाने या बसेरा छोडऩे का फैसला करते हैं। यह खुलासा करंट बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक शोध में किया गया।

एक्सेटर विश्वविद्यालय में संज्ञानात्मक विकास के प्रोफेसर एलेक्स थॉर्नटन ने बताया कि कई बार देखा जाता है कि पक्षी एक साथ आसमान की ओर उड़ जाते हैं और पूरे बादल को ढक लेते हैं। उन्होंने कहा कि पक्षी जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना चाहते हैं तो शोर मचाते हैं। यह शोर एक स्तर पर पहुंच जाता है। इसका संकेत होता है कि वे अब जाने की तैयारी हैं। इसके बाद पक्षी उड़ जाते हैं। थॉर्नटन ने बताया कि निर्णय लेने के दौरान एक पक्षी सबसे पहले कॉल करता है। इसका संकेत होता है कि वह जगह को छोडऩा चाहता है। इसके बाद पक्षियों का समूह इस पर सामूहिक रूप से निर्णय लेता है। सामूहिक निर्णय दो तरीके से लिया जाता है। पक्षी या तो शोर करते हैं या फिर अर्धचंद्रकार आकृति बनाते हैं। इसके बाद पक्षी जब आम सहमति पर पहुंच जाते हैं तो पांच सेकंड के भीतर हजारों पक्षी अपनी जगह छोड़ देते हैं। थॉर्नटन बताते हैं कि अमूमन शिकारी से बचने के लिए भी पक्षी पेड़ों को एक साथ छोड़ देते हैं।
खाने पर भी करते हैं चर्चा
शोधार्थियों ने बताया कि पक्षी खाते समय में भी एक दूसरे के बारे में जानकारी लेते रहते हैं। इस दौरान पक्षी एक-दूसरे को बताते हैं कि उन्होंने भर पेट खाना खा लिया है। इसी तरह भोजन खोजने के लिए पक्षी एक-दूसरे से बात करते हैं।
ऐसे किया प्रयोग
वैज्ञानिकों ने इस शोध के लिए कौओं पर प्रयोग किया। शोधार्थियों ने ऐसे पेड़ों पर रिकॉर्डर लगाए, जहां कौए रहते थे। मास्टर्स के छात्र एलेक्स डिब्ना के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने ध्वनियों का विश्लेषण किया तो पाया कि औसतन छह मिनट पहले एक पक्षी की आवाज के बाद सभी पक्षियों ने पेड़ों को छोड़ दिया।
पक्षी शोर में नहीं सुन पाते एक-दूसरे की आवाज
शोध में पाया गया कि ध्वनि प्रदूषण और तेज रोशनी पक्षियों की संवाद प्रकिया में बाधा पैदा कर रहे हैं। एक शहर या व्यस्त सड़क पर पक्षी दूसरे को नहीं सुन सकते हैं। ऐसी स्थिति में वे एक साथ जगह छोडऩे पर आम सहमति नहीं बना पाते। इससे उनकी आबादी पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
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