वे तीर्थयात्रियों का ब्लड प्रेशर भी चेक कर रहे हैं। यात्रा में शेषनाग (12,324 फीट) से महागुन टॉप (14,000 फीट) तक के रास्ते पर आइटीबीपी के जवानों का आना-जाना लगा रहता है। इसी रास्ते पर ऊंचाई के कारण यात्रियों में सांस फूलने के मामले सामने आ रहे हैं। अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर आइटीबीपी की चिकित्सा सहायता प्रणाली को हाई अलर्ट पर रखा गया है। आटीबीपी की ओर से ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने व ब्लड प्रेशर चेक करने के अलावा बीमार यात्रियों को स्ट्रेचर पर शेषनाग कैंप ले जाने की भी व्यवस्था की गई है।
2019 में बनाया था खास ढाल
आइटीबीपी कई साल से यात्रा के दौरान इस तरह की मदद प्रदान कर रही है। उसके जवानों ने 2019 में यात्रियों को भूस्खलन से बचाने के लिए विशेष ढाल बनाया था व पुलों से कई यात्रियों को उफनते नालों के पार पहुंचाया था।
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा में इस बार दुश्मन के ड्रोन व बम हमले की आशंका को देखते हुए कश्मीर में यात्रा के दोनों मार्गों पर एंटी ड्रोन टेक्नालीजी तैनात की गई है। इसके अलावा अतिरिक्त नाके, रोड ओपनिंग पार्टियों के साथ क्विक रिएक्शन टीमों को भी तैनात किया गया है। आइईडी व अन्य बमों की तलाश के लिए 130 खोजी कुत्ते आइईडी व स्टिकी बम को खोज निकालने के लिए मैदान में हैं। आधुनिक ड्रोन हवा से यात्रा मार्ग की पूरी निगरानी करेंगे। यात्रा के पहले दिन जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा व नियंत्रण रेखा से सटे इलाकों में तलाशी अभियान चलाए गए। नाथ यात्रा को कामयाब बनाने के लिए सेना, सुरक्षा बलों, जम्मू कश्मीर पुलिस, खुफिया एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों से लेकर जमीनी सतह पर तैनात अधिकारियों में पूरा समन्वय रहेगा। सुरक्षा के प्रबंधों को पुख्ता बनाने के लिए प्रदेश में गृह मंत्रालय ने सुरक्षाबलों की 350 के करीब अतिरिक्त कंपंनियां तैनात कर रखी हैं।