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Patrika Interview: किसान आंदोलन और अलग होते साथी दलों पर बोले केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर

locationनई दिल्लीPublished: Dec 03, 2020 05:08:03 pm

Submitted by:

Mukesh Kejariwal

नए राजनीतिक संकट में फंसी केंद्र सरकार ने अब सहयोगी दलों को भी चेताया, किसानों के नाम पर ना करें राजनीति
पत्रिका इंटरव्यूः केंद्रीय कृषि मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर

Patrika Interview: किसान आंदोलन और अलग होते साथी दलों पर बोले केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर

Patrika Interview: किसान आंदोलन और अलग होते साथी दलों पर बोले केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर

किसान बिल पर घिरी मोदी सरकार ने दबाव बना रहे अपने सहयोगियों को भी चेता दिया है। इन्हें आगाह किया है कि वे किसानों के नाम पर राजनीति नहीं करें। इस मामले पर मोदी सरकार के सामने कठिन राजनीतिक चुनौती आ खड़ी हुई है। सबसे पुराने सहयोगियों में से एक अकाली दल ने साथ छोड़ दिया। हरियाणा की जेजेपी दबाव बना रही है, राजस्थान की आरएलएसपी धमकी दे रही है। पेश है केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुकेश केजरीवाल की बातचीत-

प्रश्न- किसान बिल के विरोध में अकाली दल ने साथ छोड़ा अब बेनीवाल भी अलग होने की धमकी दे रहे हैं। क्या यह कदम राजनीतिक रूप से नुकसानदेह साबित होगा?

उत्तर- किसी भी राजनितिक दल को किसानों के नाम पर सियासत नहीं करना चाहिए।

प्रश्न- किसानों के मिलने में सरकार ने इतनी उपेक्षा क्यों दिखाई?
उत्तर- कुछ विपक्षी दलों ने किसानों के बीच भ्रम फैलाने की कोशिश की है, जिसकी वजह से एकाध राज्य में आंदोलन हुआ है। किसान संगठनों से सरकार हमेशा चर्चा के लिए तैयार रही है, वार्ता के दौर चल रहे हैं। बढ़ती ठंड और कोरोना के चलते संगठनों के सदस्यों से आंदोलन को तत्काल खत्म कर देने का पुनः आग्रह है।

प्रश्न- बिलों को वापस लेने या बड़े बदलाव की गुंजाइश है?

उत्तर- किसान संगठनों से उनके सुझाव मांगे गए हैं। उनसे लिखित में सुझाव मिलने पर बैठक में सारे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी।

प्रश्न- किसानों को राजी करने के लिए सरकार के पास क्या फार्मूला है?

उत्तर- बातचीत के अभी तक के तीन दौर बहुत सकारात्मक व सार्थक रहे हैं, चर्चा-संवाद से ही मसले हल होते हैं। आगे भी बैठकों में विस्तार से बातचीत होगी और हमें पूरी उम्मीद है कि किसानों से चर्चा के माध्यम से सकारात्मक परिणाम निकलेंगे।

प्रश्न- किसानों को न्यायिक प्रक्रिया उपलब्ध करवाने की बजाय एसडीएम के पास भेज जाएगा। वे इस काम के लिए ना तो प्रशिक्षित हैं, ना समय है..

उत्तर- नए कानून में किसान मंडी परिधि के बाहर कहीं भी उपज बेच सकते हैं, जिसमें टैक्स भी नहीं लगेगा। भुगतान भी अधिकतम तीन कार्य दिवस में मिल जाएं, ऐसा नियम बनाया गया है। विवाद होने पर एसडीएम के पास दर्ज करा सकते हैं। निराकरण अधिकतम 30 दिनों में करना होगा। किसानों को न्यायालयों के बार-बार चक्कर न लगाना पड़े, इसलिए सुलह बोर्ड एवं स्थानीय स्तर पर न्याय देने हेतु ये प्रावधान किये गए हैं।

प्रश्न- अब तो यह मांग उठ गई है कि पूरी उपज पर एमएसपी का भरोसा दे सरकार…
उत्तर- प्रधानमंत्री जी कह चुके हैं और मैंने भी संसद में तथा बाहर भी कहा है कि एमएसपी की व्यवस्था पहले की तरह जारी रहेगी। एमएसपी किसी तरह से प्रभावित नहीं हो रही। प्रधानमंत्री ने स्वामीनाथन समिति की अनुशंसाओं को लागू करते हुए प्रत्येक उपज के लागत मूल्य में कम से कम 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़ कर एमएसपी घोषित करने का प्रवधान लागू किया है।

प्रश्न- ये राज्यों के क्षेत्र में दखलंदाजी नहीं? राज्यों की मंडी से होने वाली आय की भरपाई कैसे होगी?

उत्तर- कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए केंद्र सरकार अपने स्तर पर संवैधानिक रूप से बदलाव कर सकती है, यह सभी जानते है। राज्यों में अधिकांश मंडियों की आय सरकारी उपार्जन पर मिलने वाले टैक्स से होती है। सरकारी उपार्जन आगे भी होता रहेगा, इसलिए मंडियों की आय पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ने वाला है। राज्यों के एपीएमसी एक्ट यथावत रहेंगे।

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