scriptPatrika Interview: भारत की कोरोना जंग के हीरो डॉ. गंगाखेड़कर के जवाब | Patrika Interview: Answers by Dr. Gangakhedkar, the hero of India's Co | Patrika News

Patrika Interview: भारत की कोरोना जंग के हीरो डॉ. गंगाखेड़कर के जवाब

locationनई दिल्लीPublished: Dec 08, 2020 05:53:54 pm

Submitted by:

Mukesh Kejariwal

बिना भारत में ट्रायल के नहीं मिले किसी टीके को मंजूरी
डॉ. रमण गंगाखेड़कर, ICMR के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, महामारी विज्ञान

Patrika Interview: भारत की कोरोना जंग के हीरो डॉ. गंगाखेड़कर के जवाब

Patrika Interview: भारत की कोरोना जंग के हीरो डॉ. गंगाखेड़कर के जवाब

आइसीएमआर के हेड साइंटिस्ट के तौर पर डॉ. रमण गंगाखेड़कर भारत में कोरोना की लड़ाई की कमान शुरुआत से ही संभालते रहे हैं। देश के ये शीर्ष महामारी विशेषज्ञ इस पद से रियाटर हो कर अब आइसीएमआर में ही डॉ. सीजी पंडित नेशनल चेयर के रूप में सक्रिय हैं। उनसे मुकेश केजरीवाल की बातचीत के अंश-

प्रश्न- पीएम ने भरोसा दिलाया है चंद हफ्तों में मिल जाएंगे, टीकों की तैयारी कहां तक पहुंची?

हमारे यहां जितने फेज-3 ट्रायल चल रहे हैं उनमें किसी का भी कोई गंभीर दुष्परिणाम नहीं दिखा है। साथ ही विदेशों में टीकों के नतीजे भी हमारे लिए बहुत उत्साहजन हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का मानना था कि 50 फीसदी भी सुरक्षा मिले तो टीके जरूर देने चाहिए, लेकिन ये तो 90 फीसदी से भी ज्यादा प्रभावी हो रहे हैं।

यूं तो फेज-3 का ट्रायल पूरा होने में डेढ़ साल का समय लगेगा। लेकिन अंतरिम विश्लेषण में इसे सुरक्षित और उपयोगी पाया गया तो जनवरी तक आपातकालीन मंजूरी मिल सकती है।

प्रश्न- सबसे पहले कौन सा टीका उपलब्ध हो सकता है?

यह लगातार बदलती स्थिति है, लेकिन आज की स्थिति में लग रहा है कि सीरम इंस्टीट्यूट से बन रहा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका सबसे आगे रहेगा। उधर, भारत बायोटेक ने कहा है कि इसे अपना फेज-3 ट्रायल पूरा करने में दो महीने का समय लग सकता है। कैडिला ने अभी फेज-3 शुरू किया है, तो इसे समय लगेगा। लेकिन रूस की कंपनी के स्पुतनिक-5 टीके का भारत में सिर्फ ब्रिज ट्रायल करना होगा, क्योंकि विदेशों में हो चुका है। इसका नतीजा भी बहुत जल्दी आने की संभावना है।

प्रश्न- फायजर ने अपने बेहद कारगर टीके के लिए बिना भारत में ट्रायल एमरजेंसी यूज की इजाजत मांगी है..

इसके विदेशों में किए फेज-3 ट्रायल के अंतरिम नतीजे बहुत अच्छे हैं। लेकिन हमारे देश में इन्हें ब्रिज ट्रायल करना ही होगा। क्योंकि भारत के लोगों का जेनेटिक मेकअप अलग है। इसके ट्रायल में भारतीयों ने भाग नहीं लिया है। लेकिन ब्रिज ट्रायल के बाद इसे मंजूरी मिल जाए तो अच्छा है, क्योंकि लोगों को ज्यादा विकल्प मिलेंगे। बड़े शहरों में तो इनके स्टोरेज की व्यवस्था है ही।

प्रश्न- क्या फायजर जैसे महंगे टीके सरकार अपने कार्यक्रम में शामिल करेगी?

मुझे लगता है हम अपने यहां बन रहे टीकों को ही प्राथमिकता देंगे। सरकार को उपयोग करना है तो अलग से स्टोरेज की व्यवस्था करनी होगी। फिर बर्बादी का डर भी बहुत है। एक बार वायल को कोल्ड स्टोरेज से निकाला तो पांच लोगों को देनी होगी। जहां ये रखी होंगी, उस डब्बे को भी एक मिनट से ज्यादा नहीं खोल सकते। लेकिन इन सबके बावजूद ये सभी खुले बाजार में उपलब्ध रहने चाहिएं।

प्रश्न- टीकों को लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार को क्या व्यवस्था करनी है?

भारत का सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम मुफ्त टीका देने के दुनिया के सबसे बड़े कार्यक्रम में से है। हम जिन कोरोना टीकों के लिए पहल कर रहे हैं, उनमें भी कोल्ड चेन और स्टोरेज की ऐसी ही व्यवस्था चाहिए होगी। लेकिन मात्रा बढ़ जाएगी। साथ ही अवधि भी।

चुनौती यह होगी कि जो भी ले, उसे दूसरा डोज भी लगे और सही समय पर लगे। इसके लिए आधार या दूसरे पहचान पत्र की व्यवस्था करने का विचार किया जा रहा है।

प्रश्न- कितने प्रतिशत लोगों को लग जाए तो हम सुरक्षित होंगे?

अगर 60 से 70 फीसदी लोगों में प्रतिरोध क्षमता हो जाए तो कोरोना का प्रसार काफी रोका जा सकता है। यह चाहे टीके लगाने से हो या संक्रमित हो कर ठीक होने से।

प्रश्न- क्या सरकार को गरीबों लोगों को मुफ्त टीका उपलब्ध नहीं करवाना चाहिए?

अर्थव्यवस्था पर जो असर पड़ा है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि टीकों की कीमत कुछ नहीं है। लेकिन जब टीके लगाए जाने के लिए पर्याप्त संख्या में उपलब्ध होंगे तब व्यवहारिक रूप से देखना होगा कि कितने लोगों को देने की जरूरत है।

मई के सीरो सर्वे में 0.76 प्रतिशत लोगों में संक्रमण पाया गया था। सितंबर में यह दस गुना बढ़ चुका था। दिसंबर में होगा तो संभव है दो-तीन गुना और बढ़ गया हो। तब तक 50 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हों तो सिर्फ 30 करोड़ लोगों को ही देने की चुनौती रहेगी।

प्रश्न- टीका लगाने के बाद कितने समय तक सुरक्षा मिलेगी?

फेज-2 में इंसानों को लगाए जाने के बाद से अब तक अधिकतम तीन से चार महीने हुए हैं। यानी साक्ष्य के आधार पर इसका जवाब नहीं है। कुछ लोग मान रहे हैं कि दो-चार साल में दुबारा लगाने की जरूरत होगी। लेकिन मुझे लगता है यह प्रतिरोध क्षमता लंबी चलेगी।

एक बार ठीक होने के बाद भी लोगों को कोरोना हो रहा है। लेकिन यह सिर्फ 0.5 फीसदी है। यह एंटीबॉडी कुछ समय में शरीर में कम तो हो जाता है। लेकिन यह एक किस्म की लड़ाई है, शत्रु वायरस मर जाता है तो शरीर एंटीबॉडी का शस्त्र चलाता नहीं रहता। उसका उत्पादन बंद कर देता है। लेकिन कई मेमरी सेल होते हैं, अगली बार विषाणु आया तो वे जल्द से जल्द उसे फिर बना कर शत्रु वायरस पर दाग देते हैं। अपने शरीर और प्रतिकार क्षमता पर विश्वास रखें।

प्रश्न- आइसीएमआर ने तो 15 अगस्त को ही टीका उतार देने के लिए पत्र जारी कर दिया था…

मुझे तो पत्र पढ़ कर लगा कि वह टाइपोग्राफिक गलती तो नहीं। उस समय जैसा डर का मौहाल था, उस जल्दबाजी में हुआ होगा। मैं शामिल नहीं था, इसलिए कहना ठीक नहीं होगा।

प्रश्न- भारत की कोविड की अब तक की लड़ाई को कैसे आंकते हैं?

जब आया था उस समय हम बहुत डरे हुए थे। 135 करोड़ लोगों तक सिर्फ जागरुकता फैलाना भी बहुत बड़ी चुनौती था। लेकिन लोगों ने जिम्मेवारी दिखाई। प्रभावी लॉकडाउन ने उन्हें सिखाया। हमारे यहां आज भी पहली लहर चल रही है, कई जगह दूसरी-तीसरी आ गई। हमने कारगर ढांचा तैयार किया। इस दौरान दूसरी बीमारियों से निपटने की प्रभावी व्यवस्था करनी होगी।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो