लोकलाइजेशन से डेटा की सुरक्षा, स्थानीय रोजगार और राजस्व का भी होगा लाभ
सोशल मीडिया पर मौजूद आपके डेटा की सुरक्षा भी इस कानून में शामिल की गई
लेकिन सोशल मीडिया पर प्रकाशित सामग्री संबंधी विवाद में आइटी नियम ही प्रभावी
प्रश्न- डेटा सुरक्षा बिल की जरूरत क्यों पड़ी?
सुप्रीम कोर्ट ने पुत्तुस्वामी मामले में कहा कि निजता संविधान की धारा 21 के तहत नागरिकों का मौलिक अधिकार है। इसकी सुरक्षा के लिए सरकार कानून बनाए। दूसरे, आज भारत में 70 करोड़ लोग इंटरनेट और 40 करोड़ लोग स्मार्ट फोन का उपयोग कर रहे हैं। डेटा जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हो चुका है और बहुत बड़ी मात्रा में उत्पन्न हो रहा है। इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए स्पष्ट कानून नहीं। तीसरे, डेटा को आज कच्चे तेल की तरह सबसे कीमती कच्चा माल माना जा रहा है। यह अर्थव्यवस्था के लिहाज से भी बहुत अहम हो गया है। साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी डेटा की सुरक्षा बहुत जरूरी हो गई है।
प्रश्न- कंपनियां हमारे लोगों से जुड़ा डेटा भारत में रखें, इसकी जरूरत क्यों और सुनिश्चित करने के प्रावधान?
अभी डेटा लोकलाइजेशन का प्रावधान नहीं होने की वजह से इसके दुरुपयोग की पूरी आशंका रहती है। इसलिए हमने बिल में प्रावधान किया है कि बाहर की कंपनियों को भारत में काम करने के लिए यहां अपना ऑफिस खोलना होगा और साथ ही यहां अपना सर्वर रखना होगा। पर्सनल डेटा अगर विदेश भेजा जाएगा तो व्यक्ति की सहमति और सरकार की अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा भारत में उसकी मिरर कॉपी रखनी होगी, यानी बिल्कुल वही डेटा यहां भी मौजूद रहेगा। ऐसा नहीं होने पर हमारा हमारे ही लोगों के डेटा पर नियंत्रण नहीं रह पाता। इन सब उपायों से स्थानीय रोजगार पैदा होंगे, सरकार को राजस्व मिलेगा और साथ ही डेटा सुरक्षित होगा।
प्रश्न- अब इस कानून की आगे की राह क्या होगी?
इसकी नीव तैयार हो गई है और आकार भी निर्धारित हो गया है। अब जैसा हमने बिल तैयार किया है उसे कैबिनेट पारित करेगी और मंत्री संसद में पेश करेंगे। सरकार को इसमें किसी बदलाव की जरूरत होगी तो वह संसद में चर्चा के दौरान ही मंत्री पेश कर सकेंगे और उस पर संसद अपना फैसला करेगी।
प्रश्न- सोशल मीडिया के पास भी हमारे डेटा का बड़ा भंडार रहता है…
हमने सोशल मीडिया को डेटा फ्यूडीशियरी और प्रोसेसर यानी रखने वाला माना है और उसके लिए भी वैसे ही प्रावधान किए हैं। लेकिन बिल में किए गए प्रावधानों के अलावा हमने सिफारिश की है कि इसे पब्लिशर माना जाए और इनके माध्यम से आने वाली हर सामग्री के लिए इनको जिम्मेवार माना जाए। लेकिन इन पर प्रकाशित सामग्री के बारे में आइटी नियमों के तहत नियमन किया जा सकता है। डेटा प्रोटेक्शन के तहत तो सिर्फ आपके डेटा की सुरक्षा होगी।
प्रश्न- डेटा सुरक्षा प्रधिकरण को सरकार से अलग स्वतंत्र नियामक के रूप में विकसित नहीं करना चाहिए था?
यह स्वायत्त रूप से ही काम करेगा। समिति ने इसके चयन की व्यवस्था को भी अधिक पेशेवर व स्वायत्त बनाया है। यह प्राधिकरण डेटा सुरक्षा संबंधी हर तरह की समस्या, विरोधाभास, भ्रम और कुप्रबंधन को दूर करेगा।
प्रश्न- विपक्ष का आरोप है कि लोगों की निजता पूरी तरह सरकार के हाथ में दे दी गई…
यह तय होना चाहिए कि देश की सुरक्षा पहले स्थान पर है और नागरिकों की निजता दूसरे पर। अगर सीमावर्ती क्षेत्र में किसी एजेंसी को किसी आतंकवादी से संबंधित डेटा की जरूरत होगी तो वह पहले उससे इजाजत तो नहीं लेने जाएगी ना। ऐसे ही किसी उद्देश्य के लिए या फिर लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए डेटा का उपयोग किया जा सकेगा।