scriptराजस्थान ने केन्द्र के सामने रखी चौकाने वाली मांग | rajasthan surprising demands | Patrika News

राजस्थान ने केन्द्र के सामने रखी चौकाने वाली मांग

locationनई दिल्लीPublished: Dec 30, 2021 08:08:22 pm

Submitted by:

Shadab Ahmed

Rajasthan को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए, ERCP को मिले मंजूरीकेन्द्र सरकार की Budget से पहले रखी गई बैठक में Rajasthan Govt. ने रखी अपनी मांगकेन्द्रीय योजनाओं में केन्द्र का हिस्सा 80% से 90% करने की मांग

नई दिल्ली. राजस्थान सरकार ने एक बार फिर केन्द्र सरकार से राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा देने, ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) को मंजूरी देने और केन्द्रीय योजनाओं में केन्द्र का हिस्सा 80 से 90 फीसदी तक करने की मांग की है।
राजस्थान सरकार की ओर से तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने यह मांग केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष बजट से पहले राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में रखी। गर्ग ने बताया कि राजस्थान राज्य की कॉस्ट ऑफ सर्विस डिलीवरी अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा है। इसके चलते केन्द्र सरकार को राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए। गर्ग ने पत्रकारों से कहा कि जल जीवन मिशन को सफल बनाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार का वित्त पोषण अनुपात 90:10 का किया जाना चाहिए। साथ ही इस योजना में केन्द्रांश के पुनर्भरण की अवधि को 2 वर्ष के लिए बढ़ाकर मार्च, 2026 की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत प्रति परिवार प्रतिवर्ष 1 हजार 52 रुपए की सीलिंग है। इससे हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार की इन्वेस्टमेंट फ्रेंडल नीति की बदौलत राजस्थान देश के सबसे बड़े इंवेस्टमेंट हब के रूप में उभर रहा है। गर्ग ने कहा कि राजस्थान के बांसवाड़ा-रतलाम व सवाई माधोपुर-टोंक-नसीराबाद रेल लाइन को मंजूरी देनी चाहिए।
जब पानी नहीं होगा तो नल लगाने से क्या होगा

गर्ग ने कहा कि राजस्थान के लिए ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को इस बजट में ही राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना पानी के जल जीवन मिशन के तहत नल लगाने से कोई फायदा नहीं होने वाला है। इसलिए नदियों के जोडऩे के लिए केन्द्र सरकार को तेजी से प्रयास करने चाङ्क्षहए।
राजस्व घाटा अनुदान को बढ़ाया जाए

गर्ग ने कहा कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण राज्य अर्थव्यवस्था के प्रभावित हुई है। इससे में राजस्व घाटा अनुदान को वर्ष 2022-23 के लिए 4862 करोड़ रुपए से बढाकर 9878 करोड़ रुपए किया जाना चाहिए। इस अनुदान को 2023-24 से 2025-26 की अवधि मेें जारी रखा जाना चाहिए। सामान्य उधार सीमा को वर्ष 2021-22 के लिए सकल राज्य घरेलू उत्पादन का 5 प्रतिशत व वर्ष 2022-23 से वर्ष 2024-25 के लिए 4.5 प्रतिशत किया जाना चाहिए।


सोने-चांदी पर Import Duty 4 % करें

गर्ग ने कहा कि वर्तमान में सोने और चांदी पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत और प्लेटिनम पर 10 प्रतिशत है। इसे घटाकर 4 प्रतिशत किया जाना चाहिए, ताकि भारतीय उत्पाद दुबई, सिंगापुर आदि से प्रतिस्पर्धा कर सकें। जबकि विदेशी आयात के कारण भारी घाटे में चल रहे स्थानीय खनन उद्योग को बचाने के लिए विट्रिफाईड टाइल्स के आयात पर वर्तमान बेसिक कस्टम ड्यूटी 10 प्रतिशत को बढ़ाकर 25 प्रतिशत की जानी चाहिए।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो