1000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीददारी पर फंसी केजरीवाल सरकार!
ट्रैफिक जाम को लेकर 54 बैठकें हो चुकी है.. लेकिन समाधान नहीं निकला
आपको बता दें कि सोमवार को सुनवाई करते हुए जस्टिस मदन बी. लोकुर व जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली में यातायात जाम की समस्या के मामले में ये टिप्पणी की। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए पुलिस आयुक्त से कहा कि वे बताएं कि दिल्ली के ट्रैफिक कंजेशन के 77 स्थानों को जाम मुक्त कब तक किया जा सकता है। इस पर पुलिस आयुक्त ने संबंधित अथॉरिटी से बात करने के लिए अदालत से चार सप्ताह का समय मांगा। इससे पहले अदालत ने सुनवाई के दौरान नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि ट्रैफिक जाम को लेकर 54 बैठकें हो चुकी है लेकिन फिर भी कोई समाधान नहीं निकला, यह कैसे संभव है। अदालत ने कहा ऐस लगता है कि जैसे एक फिल्म में कहा गया था तारीख पर तारीख.. वैसे ही आप लोगों के लिए सिर्फ मीटिंग पर मीटिंग। इसका कोई परिणाम नहीं है। दिल्ली सरकार की ओर से पेश एएसजी पिंकी आनंद ने कहा कि 77 बिंदुओं को जाम मुक्त करने के लिए काफी काम हुए हैं। इस पर जस्टिस लोकुर ने कहा कि वह काम पूरा होने की समय सीमा जानना चाहते हैं।
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SC में सरकार ने बताया ट्रैफिक जाम लगने के कारण
आपको बता दें कि इससे पहले ईपीसीए की ओर से दी गई रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की ओर से हलफनामा दायर किया गया था। सुनवाई के दौरान अदालत ने पूछा था कि दिल्ली में सड़कों पर जहां भी बोटलनेक बनता है उसकी विस्तार से रिपोर्ट दी जाए और उससे निपटने के लिए उपाय बताया जाए। इस पर सरकार ने बताया कि पूरी दिल्ली में ऐसे 77 जगहों की पहचान की गई है जहां पर ट्रैफिक कंजेशन ज्यादा है। सरकार ने कहा इसका मुख्य कारण है फूटपाथ-डिवाइडर पर अतिक्रमण और अवैध पार्किंग। इसके अलावे सरकार ने माना कि सड़कों पर कुछ लोग अनचाहे तरीके से चहलकदमी करते हैं या फिर नियम का पालन नहीं करते और गलत दिशा में गाड़ी चलाते हैं जिससे सड़कों पर जाम लग जाता है। सरकार ने यह भी कहा कि कई ऐसे स्थान हैं जहां पर सड़कों की चौड़ाई बेहद कम है, ऐसे में गाड़ियों की बढ़ती संख्या के कारण ट्रैफिक जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है। कई बार पेट्रोल पंप जाने वाले सड़क के आसपास गाड़ियों की पार्किंग गलत तरीके से होती है। सड़कों पर कई जगह पेड़ व टॉइलट बने हुए हैं। कई जगहों पर फुट ओवर ब्रिज और सबवे नहीं हैं। कई जगह पर यू टर्न व अंडरपास की कमी है। इसे ठीक करने के लिए लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म योजना की जरूरत है। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च अदालत को बताया है कि सरकार ने बीते 11 जुलाई को यह फैसला लिया है कि एक हजार लो फ्लोर इलेक्ट्रिक बसें लाई जाएंगी। इन बसों को चार्ज करने के लिए चार्जिंग पाइंट भी बनाए जाने हैं और इसके लिए जगह की पहचान की गई है।