लोकसभा में डीएनए टेस्ट पर विधेयक पेश, गंभीर अपराधियों को बचना मुश्किल
मोदी सरकार दलितों और कमजोर तबके के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है: गहलोत
पको बता दें कि सदन में विधयेक पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार दलितों और कमजोर तबके के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और जोर देकर कहा कि इस विधेयक को ‘किसी दबाव’ में नहीं लाया गया है। इस विधेयक के अंतर्गत जांच अधिकारी को एससी/एसटी अधिनियम के अंतर्गत नामजद आरोपी की गिरफ्तारी के लिए किसी अधिकारी के मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा, एससी/एसटी अधिनियम के अंतर्गत आरोपी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के लिए प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च को अपने आदेश में कहा था कि इस अधिनियम के अंतर्गत नामजद आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की मंजूरी अनिवार्य होगी। इसके अलावा एक पुलिस उपाधीक्षक यह जानने के लिए प्रांरभिक जांच कर सकता है कि मामला इस अधिनियम के अंतर्गत आता है या नहीं। विधेयक में यह प्रावधान दिया गया है कि इस प्रस्तावित अधिनियम के अंतर्गत अपराध करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती। इसमें स्पष्ट किया गया है कि यह प्रावधान किसी भी अदालत के आदेश या निर्देश के बाद भी लागू होगा। गहलोत ने कहा कि इस विधेयक में विशेष न्यायालयों के प्रावधानों को भी शामिल किया गया है और 14 राज्यों में पहले ही इस उद्देश्य के लिए 195 विशेष अदालतों का निर्माण किया जा चुका है। नए कानून के अंतर्गत, 60 दिनों के अंतर्गत जांच पूरी करने और आरोपपत्र दाखिल करने का प्रावधान है।
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एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ हो चुका है प्रदर्शन
आपको बता दें कि एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि एससी-एसटी एक्ट के तहत किसी की गिरफ्तारी से पहले जांच-पड़ताल करना जरूरी होगा। साथ ही अग्रिम जमानत मिल पाएगा। कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में दलित संगठनों ने प्रदर्शन किया था। इसके बाद सरकार ने इस मामले में अहम फैसला लेते हुए एससी-एसटी संशोधन विधेयक को संसद से पास करा लिया है। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन जाएगा।