आत्मनिर्भर भारत की थीम पर हो रहे 40वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में बिहार ने भी अपनी प्रदर्शनी को ‘आत्मनिर्भर गांव’ के जरिए ‘आत्मनिर्भर बिहार’ के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से जोड़ा है और बिहार मंडप में इसी थीम पर राज्य के हस्तशिल्पियों और बुनकरों द्वारा तैयार उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में बिहार मंडप के शुभारंभ के मौके पर बिहार के उद्योग मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि बिहार के गांवों में जो हुनर है वो पूरे देश के लिए एक मिसाल है। उन्होंने कहा कि बिहार के ग्रामीण इलाकों में रह रहे हस्तशिल्पियों और बुनकरों द्वारा तैयार की गई चीजें ऐसी हैं कि इससे देश दुनिया में बिहार का मान बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि चाहे मधुबनी पेंटिंग, मंजूषा कला जैसी बिहार की पारंपरिक लोककलाकारी की कृतियां हों या बिहार के बुनकरों द्वारा तैयार सिल्क, खादी व अन्य चीजों के उत्पाद – इनसे राष्ट्रीय स्तर पर तो बिहार की पहचान बनी ही है, इन उत्पादों की गुणवत्ता और कलाकारी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बिहार अपनी जगह बना रहा है।
बिहार मण्डप में 41 स्टाल लगाये गए हैं – इनमें से 21 स्टॉल हस्तशिल्पियों और 20 स्टॉल बुनकरों के हैं । ये दोनों ही बिहार की पहचान हैं और इनके हुनर और इनकी उद्यमिता ने हमेशा सब राज्यवासियों को गौरवांवित किया है।
पद्मश्री दुलारी देवी के द्वारा मधुबनी पेंटिंग की जीवंत प्रदर्शनी के अलावा राज्य पुरस्कार से सम्मानित कलाकार मनोज पंडित जी के द्वारा मंजूषा पेंटिंग, जगदीश पंडित जी द्वारा मृणमय कला और नजमा खातून के द्वारा मिट्टी कला की भी जीवंत प्रदर्शनी की जा रही है।