डीआरडीओ के साथ कंपनी कर रही है काम
डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के साथ मिलकर हैदराबाद स्थित कंपनी इकोलास्टिक, प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिए एक साल से काम कर रही है। कंपनी द्वारा भुट्टे से तैयार की गई थैलियों में पिछले 9 महीनों से आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में प्रसाद दिया जा रहा है। इस कंपनी का दावा है कि इन्होंने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे भुट्टे से थैलियों व अन्य वस्तुएं को तैयार किया जा सकता है। यह छह महीने में मिट्टी में घुल जाएंगी और यह सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए अच्छा विकल्प हैं। ऐसी ही कई वस्तुएं शुक्रवार को त्यागराज स्टेडियम में दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित तीन दिवसीय प्लास्टिक विकल्प मेले में देखने को मिली।

भारी कूड़ा इकट्ठा करने के लिए निगम भी कर सकता है इस्तेमाल
कंपनी के एप्लिकेशन डिवेलपमेंट स्पेशलिस्ट पी.नरसिम्हा रेड्डी ने तकनीक पर बात करते हुए बताया कि भुट्टे को खाने के बाद बचे मटेरियल का पाउडर तैयार होता है। उस पाउडर से दाने बनाए जाते हैं। उन दानों को मशीन में डालकर उससे सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प के लिए विभिन्न तरह की वस्तुओं को बनाया जा सकता है। देश भर की नगर निगम कूड़ा उठाने के लिए भी इस तकनीक से तैयार हुई थैलियों का उपयोग कर सकती हैं। कई अन्य कंपनियां इन दानों को लेकर इससे प्लास्टिक की जगह उपयोग होने वाली विभिन्न वस्तुओं को तैयार कर सकती हैं। रेड्डी के अनुसार अन्य कंपनियां रॉ मटेरियल के तौर पर हमारे द्वारा तैयार किए गए दानों को 200 से 400 रुपये प्रति किलो खरीद कर उनसे ग्लास, प्लेट व अन्य वस्तुओं को मैन्युफैक्चर कर सकते हैं। 1 रुपये प्रति प्रसाद की थैली के आकार की लागत आएगी। वहीं, 2 रुपये थोड़ी बड़ी थैली और 4 रुपये कूड़े को डालने वाली थैली की लागत आएगी।
सरकार को उद्योगों को देनी चाहिए टैक्स रिबेट
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट एनजीओ के आंकड़ों के अनुसार देश भर में प्रति दिन 25,950 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। दिल्ली में प्रति दिन 689.8 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। टॉक्सिक्स लिंक एनजीओ की चीफ प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर प्रीति महेश ने बताया कि कंपनियों को सरकार ने एक साल का समय दिया था, सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प के लिए खुद को तैयार करने के लिए । लेकिन उन्होंने तैयारियां नहीं की। यह अच्छी बात है कि केंद्र व राज्य सरकार आगे आकर प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम के लिए लोगों में जागरूकता फैला रही हैं। केंद्र सरकार को उन उद्योगों, कंपनियों को टैक्स रिबेट देनी चाहिए जो विकल्प की वस्तुओं को अपना रही हैं।
बैंबू के ब्रश, ईयर बड भी कर सकेंगे इस्तेमाल
पुणे स्थित बैंबू इंडिया कंपनी ने बैंबू लकड़ी से ब्रश, ईयर बड, कंगी समेत कई वस्तुओं को तैयार किया है। इसके अलावा इंडिया पॉल्युशन कंट्रोल एसोसिएशन (आईपीसीए) एनजीओ और स्टार्टअप ईकोंशियस ने शेम्पू की बोतल व ढक्कन जैसे सिंगल यूज प्लास्टिक को रिसायकल करके बेंच, चेयर जैसी वस्तुएं भी तैयार की हैं।
