अमरीकी फेडरल बैंक ने प्रमुख ब्याज दरों में बुधवार को जो वृद्धि की, वह 28 साल में सबसे ज्यादा है। फेडरल बैंक ने 2022 और 2023 के लिए अमरीका में ग्रोथ अनुमान भी घटा दिया है। हालांकि उसका कहना है कि अमरीका में मंदी नहीं आएगी। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने आगे भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं। पॉवेल के मुताबिक फेड जुलाई में फिर दरों में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है। अमरीका में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर है।
कई देशों में बाजार की बढ़त पर ब्रैक मंदी की आशंका के कारण अधिकांश एशियाई स्टॉक्स बढ़त खो चुके हैं। फेड के फैसले के बाद अमरीकी शेयर बाजार में उछाल आया था, लेकिन बाद में डाउ फ्यूचर्स 1.2 फीसदी की गिरावट के साथ ट्रेड करते दिखाई दिए। चीनी शेयर भी गिरावट के साथ बंद हुए, जबकि बैक ऑफ इंग्लैंड की ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण यूके का ब्लू चिप एफटीएसई 0.5 फीसदी टूट गया। हालांकि जापान का निक्केई चार दिन की लगातार गिरावट के बाद 0.4 फीसदी की तेजी के साथ बंद हुआ।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली से भी बड़ा झटका
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजय कुमार का कहना है कि विदेशी निवेशकों (एफपीआइ) की लगातार बिकवाली दलाल स्ट्रीट के लिए बड़ा झटका है। विदेशी निवेशक इस कैलेंडर वर्ष में अब तक 19,2104 करोड़ रुपए की इक्विटी बेच चुके हैं। इसमें जून में अब तक की गई 24,949 करोड़ रुपए की बिकवाली शामिल है। गोल्डमैन सैस के कैसर मासरी ने चेतावनी दी कि अगले 3 महीने में उभरते बाजारों से निकासी और खराब प्रदर्शन देखने को मिल सकता है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजय कुमार का कहना है कि विदेशी निवेशकों (एफपीआइ) की लगातार बिकवाली दलाल स्ट्रीट के लिए बड़ा झटका है। विदेशी निवेशक इस कैलेंडर वर्ष में अब तक 19,2104 करोड़ रुपए की इक्विटी बेच चुके हैं। इसमें जून में अब तक की गई 24,949 करोड़ रुपए की बिकवाली शामिल है। गोल्डमैन सैस के कैसर मासरी ने चेतावनी दी कि अगले 3 महीने में उभरते बाजारों से निकासी और खराब प्रदर्शन देखने को मिल सकता है।
मंदी की चिंता बाजार विशेषज्ञ चितिंत हैं कि फेड की दर वृद्धि योजना महंगाई को नियंत्रित करने में सक्षम होगी या इससे मंदी आएगी। एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 40 साल की सबसे तेज महंगाई पर काबू पाने के लिए फेड की ओर से बढ़ाई जा रही ब्याज दरों के कारण अमरीकी अर्थव्यवस्था में अगले साल मंदी देखने को मिल सकती है।
ब्याज दर में वृद्धि का भारत पर असर
1. निवेशक भारतीय शेयर बाजार के बदले अब अमरीकी बाजार में निवेश में रुचि दिखाएंगे। इससे भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली बढ़ेगी।
2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली से शेयर बाजारों में गिरावट और तेज होने की आशंका, घरेलू खुदरा निवेश भी प्रभावित होगा।
3. फेडरल रिजर्व के बाद आरबीआइ पर भी ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। इससे देश में सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे।
4. डॉलर की मजबूती के कारण रुपए में गिरावट आने की आशंका। इससे महंगाई और बढ़ेगी।
1. निवेशक भारतीय शेयर बाजार के बदले अब अमरीकी बाजार में निवेश में रुचि दिखाएंगे। इससे भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली बढ़ेगी।
2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली से शेयर बाजारों में गिरावट और तेज होने की आशंका, घरेलू खुदरा निवेश भी प्रभावित होगा।
3. फेडरल रिजर्व के बाद आरबीआइ पर भी ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। इससे देश में सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे।
4. डॉलर की मजबूती के कारण रुपए में गिरावट आने की आशंका। इससे महंगाई और बढ़ेगी।