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बच्चों में बढ़ रही आपराधिक प्रवृत्ति का ठीकरा विद्यालयों पर फोड़ना अनुचित

locationनई दिल्लीPublished: Dec 09, 2017 10:23:33 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

स्टूडेंटिंग एरा संस्थान के संस्थापक राजादास गुप्ता ने माना कि बच्चों के इस हाल के लिए कहीं न कहीं एकल परिवार भी जिम्मेदार हैं।

Rja das gupta
नई दिल्ली। करीब तीन महीने पहले हुआ प्रद्यु्म्न हत्याकांड लोगों के जेहन से निकल भी नहीं पाया था कि 5 दिसंबर को ग्रेटर नोएडा में मां-बेटी की हत्या ने फिर सनसनी फैला दी। बेरहमी से अंजाम दिए गए हत्याकांड में शक की सुई नाबालिग बेटे पर जा अटकी है। इस कांड के बाद से बेटा लापता बताया जा रहा है। परिजनों के मुताबिक बेटा पिता द्वारा फोन छीन लिए जाने से नाराज था। जिसका अंजाम कुछ इस तरह सामने आया। सवाल फिर से वही है कि हमारे बच्चे कहां जा रहे है। उन्हें कैसा भविष्य दे रहें हैं हम। वर्तमान समय में बच्चों की देखरेख और परवरिश करना एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। कोमल मन के बच्चे अपराध के दलदल में फंसते जा रहे हैं। बच्चों के विकास और व्यवहारिक प्रबंधन पर ही स्टूडेंटिंग एरा संस्थान द्वारा केयर 2017 कान्क्लेव का आयोजन दिल्ली स्थित पार्क होटल में किया गया था।
इस कान्क्लेव में स्कूल एजूकेशन के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सेक्रेटरी अनिल स्वरूप समेत कई दिग्गजों ने अपनी राय रखी। इस आयोजन में पूर्व बालीवुड अभिनेत्री और योगा गुरू अनु अग्रवाल ने कहा कि योगा व मेडिटेशन इन सबमें एक रामबाण साबित हो सकता है। विदेशों की कई बड़ी यूनिवर्सिटी में इसे अपनाया गया है। और इसके परिणाम काफी हद तक सकारात्मक मिले हैं। कार्यक्रम में पैनल सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमें पैनलिस्ट सईद कौसर का कहना था कि बच्चों को इन बाल अपराध की समस्याओं से निकालने-उबारने तथा उनके विकास के लिए सर्वोपरि आवश्यकता है कि स्कूल व परिवार में बच्चों को समुचित ढंग से भावनात्मक पोषण मिले। इसमें स्कूल और घर दोनों को मिलकर बच्चों के विकास में सहयोग करना होगा हम सिर्फ स्कूल पर ही बच्चे की सारी जिम्मेदारी नहीं डाल सकते हैं।
दिल्ली के मूलचंद अस्पताल के सीनियर मनोवैज्ञानिक डा. जितेद्र नागपाल का भी मानना था कि स्कूलों में अभी काउंसलर्स की भारी कमी है जिसके चलते भी इस प्रकार की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। साथ ही कई पैनलिस्ट ने इस बात का भी समर्थन किया कि हमारी लाइफस्टाइल इन सब के लिए खासी जिम्मेदार है। हम बच्चों को पैसे देने में नहीं सकुचाते हैं लेकिन वास्तव में एक बच्चे के विकास में सर्वांगीण विकास निभाने के लिए उसे अपने माता-पिता के साथ की आवश्यकता होती है जिसकी भारी कमी है। स्टूडेंटिंग एरा संस्थान के संस्थापक राजादास गुप्ता ने माना कि बच्चों के इस हाल के लिए कहीं न कहीं एकल परिवार भी जिम्मेदार हैं।
कान्क्लेव के शीर्ष पैनलिस्ट में अल्का वर्मा, प्रिया भार्गव, कर्नल प्रताप सिंह, राजशेखरन पिल्लई जैसी हस्तियां मौजूद रहीं जो वर्तमान समय में कहीं ना कहीं बच्चों के विकास और प्रबंधन में ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी सहयोग कर रहे हैं। साईबर एक्सपर्ट गुरुराज पी का कहना था कि सोशल मीडिया ने अपराध बढ़ाने में भूमिका निभाई है इस बात को हम नकार नहीं सकते हैं। इंटरनेट का इस्तेमाल किस हद तक करना है और बच्चों को इससे होने वाले दुष्प्रभावों को समझाना जरूरी है। केयर 2017 में दिल्ली एनसीआर के लगभग 140 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और अध्यापक सम्मिलित हुए।
आज समाज में होने वाले कई संगीन व गंभीर अपराधों में किशोरों की भागीदारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बुरी आदत और संगत में पड़ कर बच्चे अपनों का खात्मा करने से भी गुरेज नहीं करते हैं और अपराधिक प्रवृत्ति अपना लेते हैं। हत्या, बलात्कार, डकैती, अपहरण जैसी संगीन घटनाएं आज किशोरों द्वारा बड़े पैमाने पर अंजाम दी जा रही हैं।

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