केरल के एक व्यक्ति ने अपने पिता की संपत्ति में हुए बंटवारे में हिस्सा न मिलने पर हाईकोर्ट में केस किया था। उसने कहा था कि उसे नाजायज बेटा बताकर हिस्सा नहीं दिया जा रहा है। केरल हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था जिस व्यक्ति की संपत्ति पर वह हक जता रहा है, उससे उनकी मां की शादी नहीं हुई थी। ऐसे में उन्हें परिवार की संपत्ति का हकदार नहीं माना जा सकता है।
यह होगा फैसले का असर भारत में लिव-इन रिलेशनशिप में रहना अपराध नहीं है, लेकिन अब तक लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे पुरुष और महिला की संतान को पैतृक संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता था। इस फैसले से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे पुरुष और महिला से जन्मीं संतान को भी पैतृक संपत्ति में हक मिलेगा।
लिव इन रिलेशन को लेकर क्या कहता है कानून
2010 में सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता दी थी। घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 2 (एफ) में भी लिव इन रिलेशन को जोड़ा था। यानी लिव इन में रह रहे जोड़ी भी घरेलू हिंसा की रिपोर्ट दर्ज करा सकती है। लिव इन रिलेशन के लिए एक जोड़े को पति-पत्नी की तरह एक साथ रहना होगा, लेकिन इसके लिए कोई टाइम लिमिट नहीं है।