कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बैठक के एक दिन बाद पायलट की इस मुलाकात को अहम बताया जा रहा है। कांग्रेस की जहां पीके फॉर्मूले पर गुरुवार को भी बैठक जारी रही। वहीं शाम को सोनिया से पायलट की करीब एक घंटे तक चली मुलाकात में कई मुद्दों पर बात हुई। इसमें राजस्थाना में कांग्रेस की सरकार को रिपीट करने की रणनीति पर चर्चा की गई। बैठक के बाद पायलट ने पत्रकारों से कहा कि पार्टी आमजन की आवाज बनाने पर चर्चा की गई। संगठन चुनाव, राजस्थान के राजनीतिक हालात पर भी फीडबैक दिया गया। वहीं पिछले दो दशक से अधिक समय राजस्थान में सरकार रिपीट नहीं हो रही है। इस परिपाटी को तोडऩे के लिए हम संगठित होकर चुनाव में जाएंगे और चुनावी जीतेंगे। पार्टी में अपनी भूमिका के सवाल पर पायलट ने कहा कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसको निभाने के लिए वह तैयार है। पहले भी जो जिम्मेदारी दी गई थी, उसे निभाया है।
सही दिशा में उठाए कदम पायलट ने करीब दो साल पहले कांग्रेस ने एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी के माध्यम से सत्ता व संगठन ने सही दिशा में कदम उठाए हैं। इसको आगे बढ़ाते हुए पार्टी को चुनाव में जाना है। पार्टी अध्यक्ष के साथ अच्छी मुलाकात रही।
इसलिए रणनीति में बदलाव जरूरी कांग्रेस नेताओं का मानना है कि 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 156 सीटें जीती थी, लेकिन 2003 में पार्टी महज 56 सीट पर सिमट गई थी। जबकि 2008 में कांग्रेस ने 96 सीटें जीत कर सरकार बनाई थी। पांच साल बाद 2013 में पार्टी 21 सीट पर सिमट गई थी। इस तरह से हालात से बचने के लिए कांग्रेस डेढ़ साल पहले ही रणनीति में बदलाव कर सकती है। कांग्रेस परंपरागत रणनीति छोडक़र नए क्लवेर में नजर आ सकती है।