वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला विश्व के लिए एक उदाहरण है।वैदिक ने कहा कि चीन में शादी के लिए महिलाओं की न्यूनतम आयु 20 वर्ष है क्योंकि वहां जनसंख्या बहुत त्रीवता से बढ़ रही थी। भारत में यह फैसला करना अत्यंत आवश्यक था, इससे मानव जीवन में एक बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि पहले देश में गर्भ में शादियां हो जाय करती थी लेकिन आर्य समाज ने इसमें बदलाव लाने की पहल की और पहले 14 व फिर 18 आयु निर्धारित हुई।
वैदिक ने कहा कि लड़कियों की आयु 21 साल करने से शारीरिक रूप से सही होगा, शरीर पुष्ट होगा, संतान कमजोर नहीं होगी और देश में जनसंख्या पर नियंत्रण होगा। यह क्रन्तिकारी कदम है और इसका स्वागत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे भविष्य में बढ़ाकर 25 साल करना चाहिए क्योंकि इस उम्र तक ब्रह्मचर्य का पालन प्राचीन परम्पराओं में आवश्यक माना गया है। भविष्य में मजबूत भारत बनाने में यह फैसला अच्छा साबित होगा, इसका विरोध करने का कोई औचित्य नहीं है।
समाप्त विवेक