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इस दीवाली पटाखे कम से कम जलाएं , पर्यावरण और स्वास्थ्य को बचाएं

locationनई दिल्लीPublished: Oct 25, 2021 12:38:14 pm

Submitted by:

Paritosh Shahi

भारत में दिवाली बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें बच्चे से लेकर बूढ़े तक पटाखे जलाने में पीछे नहीं हटते। लेकिन इससे सिर्फ पर्यावरण को ही नुकसान नहीं पहुंचता बल्कि इससे निकलने वाले जहरीले धुएं से सेहत को भी गंभीर क्षति पहुंचता है।

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त्योहारों को हम भारतीय खुले दिल से मनाते हैं। अब दिवाली आने वाली है जिसमें सभी जमकर पटाखे उड़ाएंगे। लेकिन इसके कारण हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचता है |पटाखों से निकलने वाले धुँआ सांस नली को चोक कर देते हैं। यूँ तो स्वच्छ हवा सभी के लिए जरूरी है लेकिन दमा के रोगियों को खासतौर पर इस बात का ख्याल रखना चाहिए। स्वास रोग विशेषज्ञों के अनुसार पटाखों के धुँआ से बुजुर्गो और दमा के मरीजों को ज्यादा परेशानी होती है। आतिशबाजी की वजह से निकलने वाले केमिकल्स हवा के स्तर को बेहद खराब कर देते हैं| यही वजह है स्वास्थ्य विशेषज्ञों के द्वारा हर साल पटाखे को ना जलाने की सलाह दी जाती है।
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कुछ ऐसे भी पटाखे होते हैं जो तेज आवाज तो नहीं करते लेकिन वह काफी ज्यादा धुँआ छोड़ते हैं | जो और ज्यादा खतरनाक साबित होता है| पटाखों से दिवाली पर एयर पोलूशन 30 गुना और साउंड पोलूशन का स्तर 20 डेसिबल तक बढ़ जाता है। पटाखे जलाने के कारण सल्फ्यूरिक नाइट्रिक कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बनिक एसिड जैसी जहरीली गैस वातावरण में फैलती है इससे मनुष्य के शरीर में कैंसर ,दिल की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।
पटाखों से निकलने वाली रंग बिरंगी रोशनी भी होती है नुकसानदेह |दिवाली में अनारकली, फुलझरिया आदि रंग बिरंगी रोशनी बिखेरती है। बम तो रोशनी के साथ-साथ भयंकर आवाज भी देती है।
जानते हैं पटाखों से निकलने वाली अलग-अलग रोशनी के मुख्य कारण
अक्सर यह देखा जाता है कि विभिन्न प्रकार के पटाखा टूटने के बाद आसमान में रंग बिरंगी किरणे बिखरती हैं। इस रोशनी को बनाने के लिए खास तरह के रसायनों का उपयोग किया जाता है।
1. हरे रंग की रोशनी के लिए बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है। बेरियम नाइट्रेट को अकार्बनिक रसायन कहा जाता है। यह पदार्थ विस्फोटक होता है। बारूद में मिश्रण होने के कारण अपना रंग बदल लेता है और हरे रंग में तब्दील हो जाता है। इसका इस्तेमाल अनार में किया जाता है।
2.लाल रंग की रोशनी के लिए सीजियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है। सीजीएम नाइट्रेट बाड़ू से मिलने के बाद हरा रंग निकालता है इसका इस्तेमाल ज्यादातर रॉकेट और अनार में किया जाता है।
3.पिले रंग के लिए सोडियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया जाता है। नाइट्रेट का उपयोग लगभग हर पटाखे में होता है क्योंकि हर पटाखा थोड़ा-थोड़ा पीला रंग जरूर बिखरता है।

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