शोधकर्ताओं ने अध्ययन में दावा करते हुए कहा कि विजयसार, जामुन, जीरा, दारुहरिद्रा, एलोवेरा, बेल, मेथी, अदरक, नीम, आमला के साथ 21 औषधीय पौधे में मौजूद सक्रिय तत्व शुगर को कम करते हैं। इनमें कई पौधों से डायबिटीज रोधी दवाएं बनी हैं। जिनका मरीजों के इलाज में काफी असर मिला है। इन्हीं में से एक दवा बीजीआर-34 को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने गहन अध्ययन के बाद तैयार किया। जिसे बाजार में वितरण के लिए एमिल फार्मास्युटिकल्स को हस्तांतरित किया गया। वहीं, एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने दावा करते हुए कहा कि कि प्रकृति में अनेकों तरह की गुणकारी औषधियां मौजूद हैं। इसकी जानकारी चिकित्सा और आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में भी उपलब्ध है। चूंकि भारत में मधुमेह रोगियों की संख्या काफी अधिक है। ऐसे में मॉडर्न रिसर्च के तहत अन्य औषधियों पर शोध, चिकित्सा क्षेत्र को एक नई उपलब्धि दे सकते हैं।
एम्स के अध्ययन में आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 को डायबिटीज के लिए पाया गया असरदार : शोधकर्ता शोधकर्ताओं ने जानकारी देते हुए दावा करते हुए कहा कि बीजीआर-34 दवा में चार औषधि दारुहरिद्रा, गुड़मार, मेथी और विजयसार से प्राप्त विभिन्न प्रभावी फाइटो कंपाउंड हैं। इनके अलावा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इसमें गिलोय और मजीठ जैसे पादप भी मिलाए गए हैं। हाल ही में, नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक अध्ययन में आयुर्वेदिक दवा बीजीआर-34 को डायबिटीज मरीजों के लिए न सिर्फ असरदार पाया बल्कि इसके सेवन से रोगियों के उपापचय (मेटाबॉलिज्म) तंत्र में भी सुधार देखा गया।
अध्ययन के बारे में रिसर्चर्स ने कई जानकारियां की प्रस्तुत शोधकर्ताओं ने अध्ययन में दावा करते हुए कहा कि डायबिटीज की दवा मेटफोर्मिन का स्रोत भी औषधीय पौधा है। जिसे गलेगा आफिसिनैलिस पौधे से प्राप्त किया जाता है। 19वीं सदी में यूरोप में इस पौधे का उपचार डायबिटीज मरीजों के नियंत्रण में होता था। इसी प्रकार सेब के पेड़ की छाल से फ्लोरिजिन की प्राप्ति के बाद इससे डायबिटीज में कारगर एसजीएलटी 2 का निर्माण किया गया। एलोपैथिक दवाओं की भांति हर्बल औषधि के मामले में भी सक्रिय तत्व की जानकारी होना जरूरी होता है। साथ ही यह भी पता हो कि यह एक्टिव कंपाउंड पादप के किस हिस्से जैसे जड़, छाल, फल, पत्ते, फूल या बीज से प्राप्त होता है।