नई दिल्ली

UGC Guidelines: ड्यूल डिग्री का रास्ता साफ, यूजीसी ने जारी की अकादमिक साझेदारी की गाइडलाइन, HEI बनेंगे मल्टी डिसिप्लिनरी इंस्टीट्यूशन

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों (Higher Education Institutions) को बहुविषयक शिक्षण संस्थान (Multidisciplinary Education Institutions) के रूप में स्थापित करने की गाइडलाइन जारी कर दी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों को बहुविषयक शिक्षण संस्थानों (HEI) के रूप में तब्दील करने के लिए तैयार ड्राफ्ट के अनुरूप गाइडलाइंस को अंतिम रूप दिया गया है। इससे केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालयों की भागीदारी से स्थापित बहुविषयक संस्थान होंगे।

नई दिल्लीSep 25, 2022 / 06:38 pm

Rahul Manav

UGC ने देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों (Higher Education Institutions) को बहुविषयक शिक्षण संस्थान (Multidisciplinary Education Institutions) के रूप में स्थापित करने की गाइडलाइंस जारी की।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) गाइडलाइंस के अनुसार देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालय और राज्यों के विश्वविद्यालय अकादमिक साझेदारी कर सकेंगे, ताकि दो शिक्षण संस्थानों व विश्वविद्यालयों के एमओयू के तहत विद्यार्थियों को ड्यूल डिग्री की पढ़ाई की सुविधा मिल सके। शैक्षणिक बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रिसर्च को प्रोत्साहित करना भी इस योजना का उद्देश्य है।
यूजीसी के चेयरमैन प्रो एम. जगदीश कुमार ने बताया कि कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों व शिक्षण संस्थानों के प्रख्यात शिक्षाविदों व कुलपतियों के साथ चर्चा के बाद उच्च शिक्षण संस्थानों को बहुविषयक शिक्षण संस्थान बनाने की गाइडलाइंस तैयार हुई है। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए यूजीसी इच्छुक संस्थानों के साथ काम करेगा।
ऐसे लागू होगी गाइडलाइन

बहुविषयक शिक्षा (मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन) क्लस्टर के लिए दो शिक्षण संस्थान अकादमिक एमओयू करेंगे। इससे वे कई माध्यम से शोध कार्य को बढ़ावा दे सकेंगे। साथ ही सिंगल स्ट्रीम शिक्षण संस्थान बहु विषयक शिक्षण संस्थान के रूप में परिवर्तित हो सकेंगे। इससे शिक्षण संस्थानों का विस्तार होगा। वह अपने विश्वविद्यालय व कॉलेज में लैंग्वेज, लिटरेचर, म्यूजिक, फिलॉस्फी, आर्ट, डांस, थिएटर, एजुकेशन, मैथ्स, स्टैटिसटिक्स, प्योर एंड एप्लाइड साइंसेज, सोशोलॉजी, इकोनॉमिक्स, स्पोर्ट्स, ट्रांसलेशन और इंटरप्रेटेशन आदि विषयों के विभाग स्थापित कर सकेंगे। इस योजना के जरिए एचईआई क्लस्टर के रूप में स्थापित शिक्षण संस्थान कई इंडस्ट्री सेक्टर के साथ भी साझेदारी कर पाएंगे। अनुसंधान की जरूरत वाले कई माइक्रो, स्मॉल और मीडियम श्रेणी के उद्योगों को शिक्षण संस्थानों से मदद मिल सकेगी। योजना के तहत सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं भी शिक्षण संस्थानों के साथ एमओयू कर सकती हैं।
मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन इंस्टीट्यूशन को ऐसे समझें

मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन इंस्टीट्यूशन के लिए उच्च शिक्षण संस्थान जैसे दिल्ली सरकार के अधीनस्थ गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (जीजीएसआईपीयू) को या जीजीएसआईपीयू के संबद्ध किसी भी कॉलेज को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) या डीयू के किसी भी कॉलेज या देश भर के किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं राज्य विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी करनी है। तो वह कर सकते हैं। बहुविषयक शिक्षा क्लस्टर के लिए दो शिक्षण संस्थान अकादमिक एमओयू करेंगे। इससे वह कई माध्यम से शोध कार्य को बढ़ावा दे सकेंगे। साथ ही दोनों विश्वविद्यालय व कॉलेजों व शिक्षण संस्थानो के छात्र एमओयू साइन होने के बाद ड्यूल डिग्री की एक साथ पढ़ाई कर सकेंगे। सिंगल स्ट्रीम शिक्षण संस्थान बहुविषक शिक्षण संस्थान के रूप में परिवर्तित हो सकेंगे। साथ ही सिंगल स्ट्रीम शिक्षण संस्थान किसी विश्वविद्यालय के साथ एमओयू करने के बाद समान प्रबंधन या अलग प्रबंधन के तहत भी कार्य कर सकेंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि एमओयू के बाद जिस भी कॉलेज में कोई विभाग पहले से ही स्थापित नहीं है। वह स्थापित हो सकेगे। इस योजना के जरिए मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च इंटेंसिव यूनिवर्सिटीज (आरयू), मल्टी डिसिप्लिनरी टीचिंग इंटेंसिव यूनिवर्सिटी (टीयू) और डिग्री प्रदान करने वाले बहुविषयक स्वायत्त कॉलेज (जो विश्वविद्यालय से छोटे हैं) वह स्थापित हो सकेंगे।
इन नियमों के अधीन हो सकेगी अकादमिक साझेदारी

देश भर के दो शिक्षण संस्थान, कॉलेज व विश्वविद्यालयों जिनकी किसी एक विषय में विशेषज्ञता है या कई अन्य विषयों पर वर्षों से विशेषज्ञता है। वह सभी बहुविषयक संस्थान के रूप में बदलने के लिए अकादमिक साझेदारी कर सकेंगे। लेकिन इसके लिए यूजीसी या संबंधित वैधानिक या नियामक निकायों (रेगुलेटरी बॉडी) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप होना अनिवार्य होना चाहिए। इसमें यूजीसी ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई), नेशनल मेडिकल कमीशन(एनएमसी), डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया(डीसीआई), नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई), बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) के निर्धारित मानकों जैसे अकादमिक व फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का पालन करने, शिक्षकों की योग्यता, कोर्स की अवधि, कितने छात्रों का संस्थान में दाखिला होता है, पात्रता, दाखिला प्रणाली, फीस, करिकुलम और पाठ्यक्रम के कार्यान्वयन, आकलन और मूल्यांकन जैसी शर्तें संस्थानों के एमओयू के लिए लागू की गई हैं।
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