scriptउम्मीद 2021 – जीतेंगे जीवन की हर जंग साथ-साथ चलके हम | UMMEED-2021: We will win every battle of life together | Patrika News

उम्मीद 2021 – जीतेंगे जीवन की हर जंग साथ-साथ चलके हम

locationनई दिल्लीPublished: Dec 31, 2020 08:30:37 pm

– संकट…का हल एकजुटता ।- जीवन: हर कदम एक नई जंग। – वर्चुअल वल्र्ड और आम जीवन का तालमेल लिखेगा नई कहानी।

उम्मीद 2021 - जीतेंगे जीवन की हर जंग साथ-साथ चलके हम

उम्मीद 2021 – जीतेंगे जीवन की हर जंग साथ-साथ चलके हम

कोरोना के बाद जीने का नया ढंग सीख चुके हैं हम। प्रकृति के करीब आए हैं। अपनों की ही नहीं गैरों की चिंता करना भी सीखा। अब फिजिकल डिस्टेंस जरूरी हुआ पर इंटरनेट की बदौलत सोशल मीडिया और वीडियो कॉल से दूरियां महसूस नहीं होतीं। नए दशक और नए साल के लिए अब तैयार हैं हम। हम सीख चुके हैं कि कैसे नियमों का पालन करते हुए सब कुछ सुचारू करना है और आगे भी बढऩा है। समाज के कार्यक्रम ऑनलाइन हो रहे हैं अब शहर ही नहीं देश भर बल्कि विदेश से भी समाज जन जुड़ रहे हैं। खान-पान में बदलाव आया है। रहन-सहन में दिखावा भी कम हुआ है। खुद को और दूसरों को सुरक्षित रख बस अब साथ-साथ आगे बढऩा है …

फोन ही सबकुछ, 25 फीसदी तक बढ़ा टाइम –
7 घंटे तक हो गया स्क्रीन टाइम। सीएमआर की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीयों में प्रतिदिन स्मार्टफोन यूज करने की आदत में 25 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। अब 7 घंटे तक औसत स्क्रीन टाइम हो गया है। स्मार्टफोन में भविष्य के प्रयोग चौंकाने वाले होंगे, क्योंकि हर काम में मददगार जो है स्मार्टफोन।

वर्केशन देगा सुकून, काम और आराम की जुगलबंदी –
वर्क फ्रॉम होम के बाद वर्केशन का कल्चर डेवलप हो रहा है। सुकून भरे वातावरण में काम करने से कर्मचारियों की कार्यक्षमता में भी सुधार आ रहा है। वहीं कार कंपनियां भीं टच फ्री डोर के साथ जीपीएस और सफर को संक्रमण रहित बनाने पर फोकस कर रही हैं, जिससे लोग कार में भी काम-काज कर सकें।

यात्रा होगी महंगी, ट्रेन में यूज एंड थ्रो किट मिलेगी
आ ने वाले समय में यात्रा करना महंगा हो सकता है। हवाई यात्रा में टिकट में सेफ्टी किट का चार्ज जुड़ जाएगा। वहीं, ट्रेनों में एसी के यात्रियों को यूज एंड थ्रो किट के लिए अतिरिक्त भुगतान करना होगा। थर्मल जांच और मास्क अब यात्रा में अनिवार्य हो जाएगा।

इंटरनेट ने घटा दी मीलों की दूरियां –
कोरोना संक्रमण के काल में सबसे बड़ा परिवर्तन देखने में आया कि हमें समाज और संयुक्त परिवार के महत्व का अहसास हुआ। हम एक-दूसरे के साथ खड़े हुए। अनजान की मदद को आगे आए और इंटरनेट ने पूरे विश्व को एक परिवार में बदल दिया…एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 70 करोड़़ से ज्यादा इंटरनेट यूजर्स हैं, जिनकी संख्या 2025 तक 95 करोड़ से ऊपर होगी। लॉकडाउन में जब मनोरंजन के साधन नहीं थे, तब इंटरनेट ही सभी का सहारा बना और तेजी से इंटरनेट पर यूजर्स बढ़े। सोशल मीडिया और वीडियो कॉलिंग के जरिए लोग परिवार और परिचितों से जुड़े रहे। यही कारण था कि लोग लॉकडाउन का समय भी बिता पाए।

साइकिल लौटी फिटनेस में बनी पसंद –
कोविड-19 के दौर में जिम बंद हुए तो लोग फिर साइकिल की ओर लौटे। ऑल इंडिया साइकिल मैन्युफैक्चर एसोसिएशन के अनुसार साइकिल बिक्री में सौ फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई। मई में 4,56,818 साइकिल की ब्रिकी हुई, जो जून में 8,51,060 हो गई। एसोसिएशन के जनरल सेके्रटरी केबी ठाकुर के अनुसार अगले साल में 18 प्रतिशत तक की ग्रोथ होगी। आने वाले समय में ई-साइकिल का चलन बढ़ेगा। इसमें भी कई प्रयोग होंगे।

ओटीटी से घर पहुंचा सिनेमा थिएटर –
लॉकडाउन में सिनेमाघर बंद थे। टीवी शो भी बंद थे। ऐसे में ओटीटी प्लेटफॉर्म मनोरंजन का बड़ा साधन बनकर उभरे। एक रिपोर्ट के अनुसार नेटफ्लिक्स, अमेजन जैसे प्लेटफॉर्म की ग्रोथ 59 प्रतिशत तक बढ़ गई। मार्च से जुलाई तक इस सेक्टर में 30 प्रतिशत की ग्रोथ रही। भारत में डेढ़ साल पहले तक 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म थे, अब इनकी संख्या बढ़कर 80 से ज्यादा हो गई है। ऐसे में अब नए दशक में होम थिएटर का कॉन्सेप्ट बढ़ेगा।

टच फ्री का आया जमाना –
अब कंपनियां घर में यूज होने वाले उपकरणों को टच फ्री बनाने पर काम कर रही है। लागत को कम रखते हुए ई-डोर या टच फ्री डोर कॉन्सेप्ट पर काम हो रहा है। टच फ्री यानी सेंसर्स वाले नल, डस्टबिन, पेपर टॉवेल, सोप डिस्पेंसर्स जैसे प्रयोग सामने आ चुके हैं। अब एसी और फ्रीजर में एंटी वायरस तकनीक भी मार्केट में आ गई है। घर को डिसइंफेक्ट करने के लिए होम अपलयांसेस भी आने लगे हैं, जो स्मार्टफोन से कनेक्ट होंगे।

टेक्नोसोसायटी समाज में भी तकनीक ने नई क्रांति का संचार किया-
कोरोनाकाल में समाज में बहुत बदलाव हुए। सोनू सूद सभी के हीरो बने और मदद का सैलाब उठा। तकनीक से तालमेल बैठाकर हर जरूरी काम शुरू हुआ। नवाचार हुए। बदलाव हुआ पर भावनात्मक रूप से दूरियां घटीं।
ऑनलाइन कार्यक्रम- कोरोना ने रोका तो समाज के कार्यक्रम ऑनलाइन शुरू हुए। दुनियाभर के समाजजन इन कार्यक्रमों से जुड़ सके।
शादियों में ई-आमंत्रण – शादियों का स्वरूप बदला। ई-आमंत्रण बढ़ा, ऑनलाइन ही शामिल होने लगे दूर दराज से रिश्तेदार और परिचित।

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