उम्मीद 2021 - 'नए दशक में महिलाएं बनेंगी देश की 'ताकत'
- महिलाएं विपत्ति में शाइन करती हैं, कोरोनाकाल में उनकी योग्यताएं और उभरकर सामने आई हैं
- भविष्य आशाओं, उम्मीदों और अपेक्षाओं से भरा होगा, महिलाओं की स्थिति हर तरह से बेहतर होगी।
- महिलाएं नए आयामों तक पहुंची। नए दशक में उनके सपनों को उड़ान मिलेगी।

कोरोनाकाल पूरी दुनिया के लिए बड़ी विपत्ति का समय रहा। कई बार आपदा में ही हम अपनी क्षमताओं को पहचान पाते हैं। कहा जाता है कि ऐसे दौर में महिलाएं ज्यादा शाइन करती हैं। यानी उनकी योग्यताएं और क्षमताएं ज्यादा उभरकर सामने आती हैं। कोरोनाकाल में भी यही हुआ। उन्होंने एक बार साबित किया कि वे 'राइज अप टू द ओकेजनÓ हैं। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया ऐश्वर्या भाटी ने 'पत्रिका' से खास बातचीत में कहा कि इस समय में महिलाएं सकारात्मकता के साथ नए आयामों तक पहुंची हंै। उनके सपनों को पंख मिल गए हैं, नए दशक में उनके सपनों को उड़ान मिलेगी।
बराबरी की बात -
ऐश्वर्या कहती हैं 'कोरोना में महिलाओं ने अत्याचार भी सहे। घरेलू हिंसा के काफी मामले आए। महिलाएं अब अपने अधिकारों के लिए काफी जागरूक हो गई हैं। वे इन अत्याचारों के खिलाफ भी आवाज उठा रही हैं।
पितृसत्तात्मक सोच के खिलाफ लड़ें -
ऐश्वर्या कहती हैं कि हम सभी एक साथ मिलकर स्टीरियोटाइप से लड़ें। पुरुषों से नहीं, पितृसत्तात्मक सोच से लड़ें। केवल पुरुषों की ही नहीं, महिलाओं की भी पितृसत्तात्मक सोच होती है। इस सोच के खिलाफ महिलाओं की लड़ाई रिले रेस की तरह है जिसमें एक दूसरे का सहयोग करके दौड़ को जीतना होता है।
ज्यादा सशक्त होंगी-
कोरोनाकाल के मुश्किल दौर में भी महिलाओं ने मिसाल पेश की हैं। इनके उदाहरण भविष्य में अन्य महिलाओं को प्रोत्साहित करेंगे। महिलाओं की बड़ी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। महिलाएं समाज और देश की आधी आबादी है, वे जब तक अपनी क्षमताओं और योग्यताओं के हिसाब से समाज और राष्ट्र में भागीदारी नहीं कर पाएंगी, तब तक उनकी लड़ाई जारी रहेगी। जब ये लड़ाई वे जीत जाएंगी तब इस देश का 'एसेट' बन जाएंगी।
जेंडर गेप को लेकर आएंगे बदलाव -
जेंडर गेप को लेकर आने वाले समय में बदलाव आएंगे। अमरीकी सुप्रीम कोर्ट की दूसरी महिला जज रूथ बदर गिंस्बर्ग (आरबीजी) ने कहा था कि जब तक अगली जनरेशन की परवरिश में पुरुषों का समान योगदान नहीं होता तब तक वास्तव में बराबरी की बात नहीं हो सकती।
(इंटरव्यू: नीरू यादव)
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