सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि भाषा का जीवन में अहम स्थान है। आप लोग अपनी बोली-भाषा को आगे बढ़ाने के जिस तरह प्रयासरत हैं वह काबिले तारीफ है।
उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच के संरक्षक और दिल्ली भाजपा के प्रदेश मंत्री विनोद बछेती ने कहा कि हमारी लोक भाषाएं सिर्फ संप्रेषण का माध्यम नहीं होतीं, बल्कि ये हमारी सभ्यता, संस्कारों और परंपराओं की रक्षक भी होती हैं। यही वजह है कि उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच वर्ष 2012 से ही राज्य की लोक भाषाओं को बचाने के लिए अभियान चला रहा है। इसी के तहत हर वर्ष दिल्ली- एनसीआर में गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी भाषाओं की मुफ्त कक्षाएं चलाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी को उचित स्थान मिलना चाहिए।
सम्मान समारोह में उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच के संयोजक दिनेश ध्यानी, कोआर्डिनेटर दयाल सिंह नेगी, दिनेश ध्यानी, रमेश कांडपाल समेत कई गणमान्यजन उपस्थित रहे। सम्मान समारोह का आयोजन उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच, उत्तराखंड एकता मंच और भुयाल मंच की ओर से किया गया था।