script

पैक्ड फूड पर चेतावनी से लाखों बच्चे बच सकते हैं जीवन भर की बीमारियों सेः डॉ. ठक्कर

locationनई दिल्लीPublished: Jun 29, 2021 08:21:55 pm

Submitted by:

Vivek Shrivastava

मशहूर बाल रोग विशेषज्ञों ने बताई Front of pack label (FOPL) चेतावनी की जरूरत

पैक्ड फूड पर चेतावनी से लाखों बच्चे बच सकते हैं जीवन भर की बीमारियों सेः डॉ. ठक्कर

पैक्ड फूड पर चेतावनी से लाखों बच्चे बच सकते हैं जीवन भर की बीमारियों सेः डॉ. ठक्कर

स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डॉक्टरों ने चेताया है कि अगर खाने-पीने की पैकेटबंद चीजों में नमक, शुगर और फैट की मात्रा सीमित कर पैकेट पर उनकी मात्रा की चेतावनी की व्यवस्था नहीं की गई तो आने वाले समय में बड़ी संख्या में बच्चों को उम्र भर परेशान करने वाली बीमारियों का शिकार होना पड़ेगा।

कोराना काल में घरों से बाहर नहीं निकलने की मजबूरी बच्चों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल रही है। भारत दुनिया का दूसरा ऐसा देश बन गया है जो बच्चों के मोटापे से सबसे ज्यादा ग्रसित है। भारत के 1.44 करोड़ बच्चे मोटापे के शिकार हैं।

इंटरनेशनल पैडिएट्रिक एसोसिएशन के प्रेसिडेंट एलेक्ट (अध्यक्ष पद के अगले कार्यकाल के लिए निर्वाचित) और मशहूर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नवीन ठक्कर ने कहा, “कोरोना काल में यह समस्या और भी बढ़ती जा रही है। समय आ गया है कि सरकार को पैक्ड फूड पर फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग यानी पैकेट के ऊपर की तरफ चेतावनी की व्यवस्था जल्द से जल्द शुरू कर देनी चाहिए।”

पैक्ड फूड ने बड़ी जगह बनाई
डॉ. नवीन ठक्कर ने सीएसई (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट) के एक सर्वे का हवाला देते कहा, “करीब 93 फीसदी बच्चे हफ्ते में एक बार पैकेज्ड फूड जरूर खाते हैं। जबकि 68 फीसदी बच्चे पैकेज्ड एसएसबी (शुगर-स्वीटेंड बेवरेजेज) का सेवन करते हैं तथा 25 फीसदी बच्चे हफ्ते में एक बार पिज्जा, बर्गर जैसे अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का इस्तेमाल करते हैं।”

पैक्ड फूड पर चेतावनी से लाखों बच्चे बच सकते हैं जीवन भर की बीमारियों सेः डॉ. ठक्कर
खतरनाक बीमारियों का खतरा
मशहूर बाल रोग विशेषज्ञ और प्राइम मिनिस्टर न्यूट्रीशन काउंसिल के पूर्व सदस्य डॉ. अरुण गुप्ता ने वेबिनार में कहा, विभिन्न अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के इस्तेमाल में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी से मोटापा, डायबिटीज, हृदय संबंधी बीमारी और कुछ तरह के कैंसर के होने की संभावना 10 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इसलिए बहुत जरूरी है कि नमक, चीनी या वसा की अधिकता वाले ऐसे सामान पर पैकेट के ऊपर ही तरफ ही स्पष्ट चेतावनी होनी चाहिए।”
ना टालें नियामक एजेंसियाः विजय झा

वरिष्ठ पत्रकार विजय झा ने कहा कि खाद्य संरक्षा और नियामक प्राधिकरण (FSSAI) जैसी नियामक एजेंसियां इस दिशा में विचार-विमर्श तो वर्षों से कर रही हैं लेकिन अब समय गया है कि कि इस पर तत्काल कोई ठोस निर्णय लिया जाए। इंडस्ट्री इसको ले कर अपनी ताकत का पूरा उपयोग करेगी, लेकिन सरकार को सिर्फ जनता के हित का ध्यान रखते हुए अपना फैसला करना चाहिए।
शोधों में साबित हुई जरूरत

वैश्विक शोधों ने साबित कर दिया है कि अपर्याप्त और बिना चेतावनी वाले लेबल पैकेज्ड फूड खतरनाक हैं और नमक, शुगर और फैट की मात्रा शरीर में बढ़ाते हैं। हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ असेंबली (डब्ल्यूएचए) ग्लोबल स्तर पर इस तरह का फ्रेमवर्क बनाने पर सहमत हुआ है जिसमें पैकेज्ड फूड में एंटी न्यूट्रिएंट्स जैसे शुगर, नमक और फैट की मात्रा की सीमा निर्धारित की जाए।
गैर संक्रामक रोगों से मौतें बढ़ीं

गैर संक्रामक बीमारियां (एनसीडी) पूरी दुनिया के लिए प्रमुख चिंता का कारण बनती जा रही हैं। एनसीडी में मोटापा, डायबिटीज और हृदय संबंधी बीमारी और कुछ कैंसर आते हैं। हर साल विश्व में 4 करोड़ लोगों की मौत एनसीडी से होती है जो विश्व की कुल मौतों का 70 फीसदी है।

ट्रेंडिंग वीडियो