कोराना काल में घरों से बाहर नहीं निकलने की मजबूरी बच्चों के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डाल रही है। भारत दुनिया का दूसरा ऐसा देश बन गया है जो बच्चों के मोटापे से सबसे ज्यादा ग्रसित है। भारत के 1.44 करोड़ बच्चे मोटापे के शिकार हैं।
इंटरनेशनल पैडिएट्रिक एसोसिएशन के प्रेसिडेंट एलेक्ट (अध्यक्ष पद के अगले कार्यकाल के लिए निर्वाचित) और मशहूर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नवीन ठक्कर ने कहा, “कोरोना काल में यह समस्या और भी बढ़ती जा रही है। समय आ गया है कि सरकार को पैक्ड फूड पर फ्रंट ऑफ पैक लेबलिंग यानी पैकेट के ऊपर की तरफ चेतावनी की व्यवस्था जल्द से जल्द शुरू कर देनी चाहिए।”
पैक्ड फूड ने बड़ी जगह बनाई
डॉ. नवीन ठक्कर ने सीएसई (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट) के एक सर्वे का हवाला देते कहा, “करीब 93 फीसदी बच्चे हफ्ते में एक बार पैकेज्ड फूड जरूर खाते हैं। जबकि 68 फीसदी बच्चे पैकेज्ड एसएसबी (शुगर-स्वीटेंड बेवरेजेज) का सेवन करते हैं तथा 25 फीसदी बच्चे हफ्ते में एक बार पिज्जा, बर्गर जैसे अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का इस्तेमाल करते हैं।”
मशहूर बाल रोग विशेषज्ञ और प्राइम मिनिस्टर न्यूट्रीशन काउंसिल के पूर्व सदस्य डॉ. अरुण गुप्ता ने वेबिनार में कहा, विभिन्न अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड के इस्तेमाल में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी से मोटापा, डायबिटीज, हृदय संबंधी बीमारी और कुछ तरह के कैंसर के होने की संभावना 10 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इसलिए बहुत जरूरी है कि नमक, चीनी या वसा की अधिकता वाले ऐसे सामान पर पैकेट के ऊपर ही तरफ ही स्पष्ट चेतावनी होनी चाहिए।”