दूसरे राज्य में नहीं मिलेगा
शीर्ष अदालत ने अपने इस फैसले में स्पष्ट कहा है कि एक राज्य के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को दूसरे राज्य की नौकरी में इस जाति के अंतर्गत मिलने वाला आरक्षण नही मिलेगा।
राज्य सरकारें खुद नहीं कर पाएंगी बदलाव
शीर्ष अदालत के इस फैसले में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सूची में खुद से बदलाव नही कर सकती। बदलाव का अधिकार राष्ट्रपति के दायरे में आता है। अगर राज्य सरकारों को इस सूची में बदलाव करना है तो उन्हें संसद की मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद ही वह बदलाव कर सकेंगी। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि एससी-एसटी के लिए आरक्षण का लाभ एक राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश की सीमा तक ही सीमित रहेगा।
दिल्ली के लिए ये होंगे नियम
सर्वोच्च न्यायालय के सामने यह सवाल था कि क्या एक राज्य का व्यक्ति, जो उस राज्य में अनुसूचित जाति या जनजाति का व्यक्ति, क्या वह दूसरे राज्य में भी इसके तहत मिलने वाले आरक्षण का लाभ ले सकता है? इस पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि नहीं। इसके अलावा दिल्ली के संदर्भ में कहा कि यहां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए अखिल भारत स्तर पर मिलने वाला आरक्षण का नियम ही लागू होगा।